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बाराबंकी में सूखी झील को ग्रामीणों ने दिया नवजीवन, PMO ने कहा- बनाएंगे पक्षी विहार

सराही के नायकों की हर ओर सराहना। प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार को निर्देश देकर सराही की झील को पक्षी विहार के रूप में विकसित करने को कहा है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 02:37 PM (IST)
बाराबंकी में सूखी झील को ग्रामीणों ने दिया नवजीवन, PMO ने कहा- बनाएंगे पक्षी विहार
बाराबंकी में सूखी झील को ग्रामीणों ने दिया नवजीवन, PMO ने कहा- बनाएंगे पक्षी विहार

बाराबंकी [जगदीप शुक्ल]। 25 जनवरी को जब दैनिक जागरण की टीम सराही गांव पहुंची तो मानो उत्सव का माहौल था। गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर यह उत्सव दोगुने उत्साह से भरा प्रतीत हो रहा था। गांव का हर व्यक्ति दैनिक जागरण में प्रकाशित उस खबर की चर्चा में रत था, जिसमें यह लिखा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार को निर्देश देकर सराही की झील को पक्षी विहार के रूप में विकसित करने को कहा है...

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सराही गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य मो. शुएब इंटरवल में सभी बच्चों से रूबरू हैं। उनके हाथों में दैनिक जागरण है। वह इसमें छपी सराही की खबर पढ़कर विद्यार्थियों को सुना रहे हैं। इसके साथ ही वह गांव के लोगों के जज्बे को सराहते हुए उनसे सीख लेने की बात कह रहे हैं। इसी तरह चौपाल में भी एक बुजुर्ग खबर पढ़कर सुना रहे हैं...। दैनिक जागरण की टीम अभी-अभी यहां पहुंची है। मो. शुएब इससे बेखबर बच्चों को बताने में जुटे हैं कि ग्रामीणों ने श्रमदान से झील को जीवनदान देकर कितना महान काम किया है। यह भी समझाते हैं कि सराही झील आसपास के गांवों के साथ प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए कितनी उपयोगी साबित होगी। तभी वहां दूरदर्शन की टीम पहुंचती है। इसे देख मो. शुएब बच्चों से झील को नवजीवन देने वाले नायकों का अनुसरण करने की अपील करके बात खत्म कर देते हैं। यह सिर्फ एक तस्वीर है। चौपाल से लेकर खेत-खलिहान तक गांव के इन नायकों की सराहना के स्वर गूंज रहे हैं। दैनिक जागरण ने इनके जज्बे और हौसले से पूरे देश को परिचित कराया तो दूरदर्शन अब सबको इसका दीदार कराने के लिए यहां आया है।

रूठे मेहमान को मनाने को श्रमदान

दशक भर के भीतर गांव के लोगों ने सराही झील को सूखने की कगार पर पहुंचते देखा। कई हैंडपंप भी सूख गए। झील में पानी बेहद कम होने के चलते कई वर्षों से प्रवासी परिंदे यहां आना छोड़ चुके थे। गांव के हर शख्स को यह अखरता था। यह कलरव फिर कैसे गूंजे, इसकी युक्ति सुशील सिंह ने निकाली। सबने श्रमदान से झील को जिंदा करने की युक्ति को सराहा और साथ चल पड़े। इस तरह सराही, मीरनगर और बनगांवा के लोगों ने काम शुरू किया। 20 जून 2019 से 10 जुलाई 2019 तक श्रमदान करके ग्रामीणों ने असंभव लगते काम को संभव कर डाला। बारिश से पहले काम पूरा करने के लिए तीन-चार दिन जेसीबी भी चलवाई। इसका भुगतान भी ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से किया।

झील के निचले किनारों पर बांध बनाने के बाद अभी पूरब दिशा में झील की मेड़बंदी बाकी है। इसके लिए ग्रामीणों में जोश नजर आता है। गांव के लोग श्रमदान करके इसे निपटाने के लिए तैयार हैं। सराही झील के नायक सुशील सिंह, अजीत प्रताप सिंह, दिलीप सिंह, रंगीलाल, रामलखन, रामनरेश, सचिन, नौमीलाल, परौती, रामसिंह आदि का कहना है कि उन्हें दोबारा मौका मिला तो बढ़ चढ़कर श्रमदान करेंगे। झील के कायाकल्प में सहयोग देने वाले सराही की ग्राम प्रधान सरपता और मीरनगर के ग्राम प्रधान ज्ञान मिश्र आगे भी इसके लिए तैयार हैं। ये सभी अब झील के पक्षी विहार बनाए जाने की खबर से उत्साहित है। 

छिछले भाग में पसाढ़ी चावल भी होता है

सराही झील बहुत पुरानी बताई जाती है। यह दरियाबाद-टिकैतनगर मार्ग के किनारे स्थित है। राजस्व अभिलेखों में यह नहर और झील के रूप में दर्ज है। इसका हिस्सा मुख्य रूप से सराही और बनगांवा ग्राम पंचायत में आता है। 43 हेक्टेयर की इस झील का हिस्सा सराही ग्राम पंचायत में 27.5 और बनगांवा में 15.5 हेक्टेयर आता है। छिछले भाग में पसाढ़ी चावल भी होता है। इन दिनों झील कपासी हंस, भूरे रंग की टिटहरी, घोंघिल, जघिल, सारस, सैंडपाइपर, सेल्ही, लाल एनजन, कपासी चील, मुस्लिहिया आदि पक्षियों से गुलजार है। 

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झील की उपयोगिता

  • झील भूजल स्तर को बढ़ाती है और आसपास के वातावरण को सुहावना बनाती हैं। 
  • इसके अंदर गाद जमा होती है, जिससे जलीय पारिस्थितिक तंत्र को ताजे पोषक तत्व मिलते रहते हैं।
  • कार्बन को पृथक करने का भी कार्य करती हैं जिससे जलवायु शुद्ध होती ही रहती है, जो कि मानव के हितकारी है।
  • झील अपने अंदर बड़ी मात्रा मे जल समाहित कर लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना कम होती है।
  • झील आमोद-प्रमोद और मनोरंजन का वातावरण भी बनाती हैं, इससे मछली सहित कई खाद्य पदार्थ मिलते हैं।

इनके प्रयासों से गूंजा कलरव 

  • प्रधान मीननगर ज्ञान मिश्रा ने बताया कि इनके प्रयासों से गूंजा कलरव करीब एक दशक से जलस्तर में गिरावट के चलते पीने के पानी और सिंचाई को लेकर आनी वाली दिक्कतों में अब राहत मिली है। एक साल पहले तक 45 फीट पर भी पानी नहीं मिलता था। गांव में कई हैंडपंप सूख गए थे। अब फिर पानी देने लगे हैं। इससे गांव की प्रगति के द्वार खुलेंगे।
  • सराही निवासी अजीत सिंह का कहना है कि यह बहुत पुरानी झील है। झील के सूख जाने के कगार पर पहुंच जाने के चलते प्रवासी परिंदे रूठ गए थे। सुशील सिंह ने बांध के जरिये इसमें पानी का ठहराव रोकने की बात कही। इस पर मुझसे जो बन पड़ा सहयोग किया। आज पक्षियों का दोबारा आना अच्छा लग रहा है।
  • पर्यावरण प्रेमी दिलीप सिंह ने बताया कि झील सूखी तो नगर पंचायत टिकैतनगर के चेयरमैन और विधायक दरियाबाद से गुहार लगाई गई, लेकिन फिर भी झील के अस्तित्व को बचाने को लेकर कोई पहल नहीं की गई। ग्रामीणों के सहयोग से बांध बनवाकर पानी का ठहराव किया गया, जिससे फिर से प्रवासी पक्षियों का कलरव गूंज रहा है।
  • कंचनपुर राम नरेश के मुताबिक, वर्ष 1980 के दशक में नाले के जरिए सरयू से मगरमच्छ सराही झील में आ जाते थे। तब झील में पानी खूब रहता था। धीरे-धीरे झील का पानी सूखने लगा। बारिश का जो पानी झील में आता था वह नाले के जरिए सरयू में बह जाता था। अब दोबारा पानी और परिंदों से झील आबाद है।

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