अब KGMU-PGI-LOHIA में शुरू होगी डिजिटल बैंकिंग, सॉफ्टवेयर में होगा मरीज का सारा डाटा
पीजीआइ में शुरू हुई आइएसआरटी कार्यशाला आर्टिफिशियल तकनीक पर विशेषज्ञों का जोर।
लखनऊ [कुमार संजय]। पेट और ब्रेन की बीमारियों की कुंडली सीटी स्कैन मशीन में होगी। इसके लिए कई चिकित्सा संस्थानों से मरीजों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। ऐसे में मरीज की मशीन में स्कैनिंग होते ही बीमारी की तत्काल रिपोर्टिंग हो सकेगी। आर्टीफिशयल इंटेलीजेंस की यह तकनीक तैयार करने की जिम्मेदारी पीजीआइ ने संभाली है।
संस्थान में रविवार को रेडियोलाजी विभाग द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ रेडियोग्राफर एंड टेक्नोलाजिस्ट (आइएसआरटी) की कार्यशाला हुई। इस दौरान रेडियोलाजी विभाग की प्रो. अर्चना गुप्ता ने कहा कि सोसाइटी के साथ मिलकर सीटी स्कैन का डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। इसमें ब्रेन व पेट के मरीजों से जुड़ी सभी सीटी स्कैन लोहिया संस्थान, केजीएमयू, विवेकानंद अस्पताल, एम्स और निजी संस्थानों से मांगे गए हैं। इसमें दोनों अंगों की बीमारियों की हिस्ट्री, रिपोर्ट समेत फिल्म को सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दिया जाएगा। यह डिजिटल बैंक बनेगा, जो सीटी स्कैन मशीन से सॉफ्टवेयर के जरिए कनेक्ट होगा। ऐसे में भविष्य में किसी मरीज को सीटी स्कैन किया जाएगा, उसकी बीमारी का ब्योरा स्वत: कंप्यूटर पर आ जाएगा। इससे डॉक्टर कम समय में और सटीक रिपोर्टिंग कर सकेंगे। साथ ही समयगत मरीज का उपचार शुरू हो सकेगा।
अब कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर की सटीक जांच
पीजीआइ में अब ( डिजिटल ब्रेस्ट टोमो सिंथेसिस डीबीटीएस) तकनीक के जरिए बे्रस्ट कैंसर की सटीक जांच की जा सकेगी। यह तकनीक कम उम्र की किशोरियों में भी कैंसर का पता लगाने में सक्षम होगी। प्रो. नमिता मोहिंद्रा के मुताबिक कम उम्र की महिलाओं में गांठ का पता नहीं लगता। कारण, कोशिकाएं बहुत घनी होती हैं। ऐसे में साधारण मेमोग्राफी से गांठ का पता नहीं लगता। मगर, डीबीटीएस तकनीक से छोटी से छोटी स्तन की गांठ की पुष्टि की जा सकेगी। इसमें मेमोग्राफी मशीन के रेडिएशन बीम को 15 डिग्री कोण पर धीरे-धीरे घुमाया जाता है, जिससे ब्रेस्ट की कई इमेज विभिन्न एंगल से ली जाती हैं। ऐसे में अनियमित विकास वाली कोशिकाओं को पकड़ा जा सकता है। इसके बाद बॉयोप्सी कराकर कैंसर की पुष्टि की जा सकती है।