सैकड़ों साल पुराने सिक्कों की पहचान कराएगा लखनऊ विश्वविद्यालय, जानें- किस कोर्स में किया जाएगा शामिल
लखनऊ विश्वविद्यालय अब सैकड़ों साल पुराने सिक्कों की पहचान कराएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीए चौथे वर्ष के लिए इससे जुड़ा कोर्स तैयार किया है। माना जा रहा है कि आगामी सत्र से छात्र-छात्राएं पुराने सिक्कों की पहचान के तरीके सीखेंगे।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्र-छात्राएं अब छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर गुप्त काल तक सिक्कों की पहचान के तरीके सीखेंगे। इसके लिए एंशियंट इंडियन हिस्ट्री (एआइएच) विभाग ने बीए चौथे वर्ष के लिए इससे जुड़ा कोर्स तैयार किया है। वहीं, एमबीए के विद्यार्थियों को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से दो कोर्स तैयार किए गए हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस साल स्नातक में भी नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम लागू किया है। अभी तक एआइएच विभाग में बीए पाठ्यक्रम में मुद्रा शास्त्र पढ़ाया जाता है। इसमें सिर्फ विद्यार्थी थ्योरी ही पढ़ते हैं। विभाग के शिक्षक प्रो. प्रशांत श्रीवास्तव बताते हैं कि नई शिक्षा नीति के तहत बीए चौथे वर्ष में अब सिक्कों की पहचान करना सिखाया जाएगा। इसके तहत छठी शताब्दी ई पूर्व से शुरू होकर 550 ईसवीं (गुप्त काल, कुषाण काल) के अंत के सिक्कों को शामिल किया गया है। इसके लिए सिक्कों की स्लाइड दिखाकर भी पहचानना सिखाएंगे। इसमें तांबे, चांदी के भी शामिल होंगे। बोर्ड ऑफ स्टडी, फैकल्टी बोर्ड आदि से इस सिलेबस को पास कराया जा चुका है।
एंटरप्रिन्योरशिप और पर्सनल सेलिंग कोर्स भी शुरू होगा : लखनऊ विश्वविद्यालय के व्यापार प्रशासन विभाग ने स्नातक दूसरे सेमेस्टर में वोकेशनल के रूप में दो नए कोर्स तैयार किए हैं। इनमें एंटरप्रिन्योरशिप और पर्सनल सेलिंग शामिल है। विभाग के विभागाध्यक्ष संजय मेधावी ने बताया कि स्नातक के विद्यार्थियों को स्वरोजगार की तरफ बढ़ावा देने के लिए एंटरप्रिन्योरशिप कोर्स शुरू किया गया है। इसके अलावा सेल्स के क्षेत्र में भी काफी मांग है। इसलिए पर्सनल सेलिंग कोर्स के माध्यम से विद्यार्थी इसमें अपना करियर बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कोर्स के लिए चार-चार क्रेडिट तय किए गए हैं।