बच्चों में लिवर की बीमारी की गंभीरता कम करना होगा संभव Lucknow News
पीजीआई में हुआ शोध। कार्टीसोल का स्तर बढ़ाकर संभव होगा लिवर डिजीज की गंभीरता को कम करना।
लखनऊ [कुमार संजय]। लिवर की खराबी से ग्रस्त बच्चों में बीमारी की गंभीरता को कम करना संभव होगा। संजय गांधी पीजीआइ के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट प्रो. मोनिक सेन शर्मा और उनके साथी डॉ. परिजात राम त्रिपाठी ने लंबे शोध के बाद पता लगाया है कि कार्टिसोल हार्मोन व कोलेस्ट्रॉल के स्तर और लिवर डिजीज की गंभीरता के बीच काफी हद तक रिश्ता है। हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम है तो लिवर डिजीज की गंभीरता अगले तीन महीने काफी अधिक होगी। इस तथ्य का पता लगने के बाद हम लोगों के सामने स्तर बढ़ाने के तरीके का पता लगाकर बीमारी को गंभीरता को कम करना संभव होगा।
प्रो. मोनिक के शोध को यूरोपियन सोसायटी ऑफ पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी एंड हिपैटो न्यूट्रिशन ने स्वीकार किया है। शोध को प्रस्तुत करने के लिए स्कॉटलैंड में आयोजित अधिवेशन में बुलाया गया था। प्रो. मोनिक ने इन इस तथ्य को साबित करने के लिए 85 लिवर डिजीज से ग्रस्त बच्चों पर शोध किया।
एड्रिनल ग्लैंड से स्रावित होता है कार्टीसोल
किडनी के पास स्थित एड्रिनल ग्लैंड से कार्टीसोल हार्मोन स्रावित होता है। बच्चों में कार्टीसोल का स्तर 250 से 500 नैनोमोल प्रति लीटर के बीच होना चाहिए। लिवर डिजीज से ग्रस्त इन बच्चों में कार्टीसोल और कोलेस्ट्रॉल का स्तर देखा, साथ ही बीमारी की गंभीरता का अध्ययन किया तो पाया कि जिनमें मानक से कम स्तर था उनमें परेशानी बढ़ती गई।
विल्सन डिजीज और बड चेरी सिंड्रोम से ग्रस्त थे बच्चे
प्रो. मोनिक के मुताबिक शोध में शामिल बच्चे विल्सन डिजीज और बड चेरी सिंड्रोम के कारण लिवर काम नहीं कर रहा था। इस कारण एसाइटिस (पेट में पानी भरना) हो गया था। विल्सन डिजीज में लिवर में कॉपर जमा हो जाता है और बड चेरी सिंड्रोम में हिपैटिक वेन में रुकावट के कारण लिवर में प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे लिवर खराब हो जाता है।
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