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World Cancer Day 2020: हाईटेक होगा कैंसर का इलाज, बगैर चीरफाड़ के कैंसर का सफाया

लखनऊ कैंसर संस्थान में लगेगी साइबर नाइफ मशीन बिना किसी चीर फाड़ कैंसर का होगा इलाज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 02:04 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 02:04 PM (IST)
World Cancer Day 2020:  हाईटेक होगा कैंसर का इलाज, बगैर चीरफाड़ के कैंसर का सफाया
World Cancer Day 2020: हाईटेक होगा कैंसर का इलाज, बगैर चीरफाड़ के कैंसर का सफाया

लखनऊ, जेएनएन। कैंसर संस्थान में साइबर नाइफ मशीन लगेगी। इससे कैंसर मरीजों की रेडियो सर्जरी संभव हो सकेगी। बगैर चीरफाड़ के मरीज के जटिल व संवेदनशील अंगों के कैंसर को सफाया किया जा सकेगा। देश के सरकारी संस्थानों में यह पहली मशीन लगेगी। वहीं दूसरे नंबर पर नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट झज्जर हरियाणा में मशीन लगाना प्रस्तावित है। यह मशीन रोबोटिक सिस्टम पर रन करती है। इसमें रेडिएशन की एक्जियल बीम से ब्रेन ट्यूमर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, स्पाइनल ट्यूमर, किडनी कैंसर का इलाज बेहद सटीक होता है। साथ ही शरीर में मूव कर रहे कैंसर सेल्स पर भी मशीन से वार किया जा सकता है।

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पहली सरकारी टोमोथेरेपी मशीन लगेगी

कैंसर संस्थान में पहली टोमोथेरेपी मशीन लगेगी। यह 30 करोड़ की होगी। यह निजी में सिर्फ टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट में है। टोमोथेरेपी मशीन टारगेट बेस्ड टेक्नोलॉजी पर कार्य करेगी। इसमें शरीर के किसी हिस्से के कैंसर सेल्स को टारगेट बनाकर खत्म किया जा सकता है। साथ ही कैंसर ग्रसित हिस्से के आस-पास स्थित स्वस्थ टिश्यू व सेल को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचेगा। इसमें एक विशेष प्रकार का डिफार्मेबल रजिस्टे्रशन ऑफ इमेजज रेडियोथेरेपी सॉफ्टवेयर लगाया गया है। इससे किस अंग को कितनी रेडिएशन का डोज मिली इसकी रीडिंग होती है। ऐसे में यदि शरीर में फैले कैंसर में किसी अंग को मानक से अधिक रेडिएशन चला जाता है तो उसकी डोज में अगले दिन मोडिफिकेशन किया जा सकता है। 

'एसजीआरटीÓ तकनीकि :  घूम रहे ट्यूमर सेल्स पर वार

 कैंसर संस्थान में लीनियर एक्सिलरेटर (लीनेक) मशीन लग गई है। 'एसजीआरटीÓ तकनीकि बेस्ड यह मशीन शरीर में मूव (घूम) कर रहे ट्यूमर पर सटीक वार सकेंगी। एसजीआरटी का तात्पर्य सरफेस गाइडेड रेडियोथेरेपी ट्रीटमेंट है। इसके लिए मशीन में एक विशेष प्रकार की डिवाइस लगी होती है, जिसमें स्टीरियो विजन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। यह मरीज के शरीर में मूव कर रहे ट्यूमर पर नजर रखती है। साथ ही उसके रेडिएशन फील्ड से बाहर होने पर भी सटीक वार करती है। यह मशीन फेफड़े के ट्यूमर, फेफड़े के डायफ्राम एरिया के ट्यूमर, लिवर, पैंक्रियाज, ब्रेस्ट कैंसर, आहार नली के कैंसर के लिए बेहद मददगार साबित होगी। प्रदेश के सरकारी चिकित्सालय में यह सुविधा पहली बार मिलेगी। 

गामा नाइफ : ब्रेन के छोटे ट्यूमर के लिए बनेगी काल 

लोहिया संस्थान में गामा नाइफ की मशीन जल्द आएगी। इसके लिए रेडिएशन आंकोलॉजी भवन के बगल में बंकर बनेगा। मशीन व बंकर के लिए लगभग 30 करोड़ लागत तय की गई है। गामा नाइफ मशीन ब्रेन में ऐसे छोटे ट्यूमर पर सटीक वार कर सकती है, जहां पर ऑपरेशन संभव नहीं है। इसमें गामा किरणों की डोज दी जाती है। इससे रक्तवाहिकाओं को नुकसान नहीं होता है। यह इलाज रेडिएशन अंकोलॉजी व न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सक मिलकर करते हैं। इसमें मरीज की फ्रेमिंग व इमेजिंग कर रेडिएशन दिया जाता है।


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