प्रदूषण को लेकर अब नागरिक भी कर सकेंगे उद्योगों का निरीक्षण, NGT ने दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रावधान जल प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 में मौजूद है लेकिन इसका अनुपालन अभी तक नहीं हो रहा है। इस संबंध में यह भी महत्वपूर्ण है की एनजीटी द्वारा लगातार इस बात के निर्देश दिए जा रहे हैं।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। औद्योगिक उत्प्रवाह व प्रदूषण से जुड़े मामलों में कोई भी नागरिक जल अधिनियम, 1974 के तहत उद्योग परिसरों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर सकेगा। दो दिन पूर्व पर्यावरण से जुड़े एक मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि उसके द्वारा जल अधिनियम की धारा 25 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। वाटर एक्ट की इस धारा में यह व्यवस्था दी गई है कि सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उद्योगों को दी जाने वाली पर्यावरणीय मंजूरी से जुड़ा पूरा विवरण रजिस्टर पर उपलब्ध रखेंगे। प्रदूषण फैलने अथवा उत्प्रवाह निस्तारित करने के मामलों पर कोई भी व्यक्ति उद्योग का निरीक्षण कर सकेगा।
बताते चलें कि यह प्रावधान जल प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 में मौजूद है, लेकिन इसका अनुपालन अभी तक नहीं हो रहा है। इस संबंध में यह भी महत्वपूर्ण है की एनजीटी द्वारा लगातार इस बात के निर्देश दिए जा रहे हैं कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण यह सुनिश्चित कराए कि किसी भी उद्योग में बिना अनुमति के भूजल का अवैध दोहन न किया जाए। एनजीटी ने पूरे देश में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़ी मानिटरिंग मेकैनिज्म व पर्यावरण मानकों का अनुपालन किए जाने के संबंध में शैलेश सिंह की याचिका पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गत 23 मार्च को निर्देश दिए हैं।
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देश के सभी राज्यों में प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी अनुश्रवण प्रणाली एवं कार्य व्यवस्था को मजबूत किए जाने पर निर्देश दिए हैं। कहा है, राज्य बोर्डों के चेयरमैन व सदस्य सचिव के पदों पर पूर्णकालिक तैनाती की जाए और उनको दूसरे कार्य प्रभार ना दिया जाए। सभी राज्यों के मुख्य सचिव राज्य स्तर पर पर्यावरण महकमों के साथ समन्वय स्थापित करें। प्रदूषण नियंत्रण के इंतजामों को सुदृढ़ करें।