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अब अगरबत्ती-धूपबत्ती से महकेगा 'प्रवासी कामगारों का आंगन', मिलेगा प्रशिक्षण

सीमैप लखनऊ दे रहा है किसानों और कामगारों को प्रशिक्षण पहले चरण में दो सौ कामगारों को दिया जाएगा प्रशिक्षण।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 02:35 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 02:35 PM (IST)
अब अगरबत्ती-धूपबत्ती से महकेगा 'प्रवासी कामगारों का आंगन', मिलेगा प्रशिक्षण
अब अगरबत्ती-धूपबत्ती से महकेगा 'प्रवासी कामगारों का आंगन', मिलेगा प्रशिक्षण

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। घर लौटे प्रवासी कामगारों को आजीविका के लिए भटकना ना पड़े, इसके लिए सीमैप ने बीड़ा उठाया है। संस्थान ने बुंदेलखंड और मध्यप्रदेश में घर वापसी करने वाले कामगारों को धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री तैयार करने की ट्रेनिंग देने की शुरुआत की है। पहले चरण में 200 कामगारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। वेबिनार के जरिए संस्थान इनसे जुड़ रहा है और जिलों में तैनात प्रोजेक्ट असिस्टेंट उनकी स्थानीय स्तर पर मदद कर रहे हैं। 

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कोशिश यह है कि इन कामगारों के हुनर का इस्तेमाल करके धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री तैयार कर उससे होने वाली आय से उनके घर-आंगन को महकाया जा सके।

सगंध पौधों में है ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की क्षमता

सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि सगंध पौधों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जबर्दस्त क्षमता है। किसान सगंध पौधों को रोपकर जहां 30000 रुपये तक अॢजत कर सकता है। वहीं, कामगार धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री तैयार करके 5 से 8000 तक कमा सकते हैं। यही वजह है कि सीमैप खासतौर पर प्रवासी कामगारों को उनके हुनर के अनुसार ट्रेनिंग देने का फैसला किया है। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी के अंतर्गत एक प्रोजेक्ट के तहत इस कार्य को किया जा रहा है। इसमें कन्नौज के सुगंध एवं सुरक्षा विकास केंद्र भी सहयोग कर रहा है। 

किसानों और कामगारों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

प्रोजेक्ट कोऑॢडनेटर डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन 14 डिस्ट्रिक्ट के जिलों के किसानों व कामगारों से संपर्क साध कर उन्हेंं प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर प्रोजेक्ट असिस्टेंट उनको सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा अगरबत्ती धूपबत्ती व हवन सामग्री के लिए कच्चा माल गांव में ही उपलब्ध है, जहां तक टेक्निकल सपोर्ट की बात है दोनों ही इंस्ट्टीयूट इसमें पूरा सहयोग कर रहे हैं। इसके अलावा बाजार की बात करें तो धूपबत्ती और अगरबत्ती का 56 फीसद बाजार ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद है। वहीं, कामगारों के स्किल को देखते हुए यह भी उम्मीद की जा रही है कि यह अपने माल को शहरों में बाजार तक भी पहुंचा सकेंगे।

कामगारों को गांव में ही मिले रोजगार के अवसर

कोशिश यह है कि जो कामगार अपने काम को छोड़कर अन्य राज्यों से घर लौटे हैं उनको उन्हीं के गांव में रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

यहां दी जा रही है ट्रेनिंग

झांसी, महोबा, चित्रकूट, हमीरपुर बांदा, जालौन, ललितपुर के साथ ही मध्य प्रदेश के दतिया टीकमगढ़ निवासी सागर, छतरपुर, पन्ना और दमोह।


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