सेना के स्टेशन वर्कशॉप पर लग गया ताला, अब निजी हाथों का सहारा
अब निजी हाथों में जाएगी सेना के वाहनों और साजो सामान की मरम्मत। लखनऊ में तैनात 200 जवान और 100 सिविल कर्मचारियों की अन्य जगह होगी तैनाती।
लखनऊ, [निशांत यादव]। सेना के वाहनों, हथियारों और उपकरणों की मरम्मत में अहम जिम्मा निभाने वाला इलेक्ट्रॉनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर कोर (ईएमई) का वर्कशॉप 30 मार्च को बंद कर दिया गया। रक्षा मंत्रालय के इस क्षेत्र में निजीकरण के आदेश के बाद सेना ने अपने सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन वर्कशॉप को बंद कर दिया है। यहां तैनात सेना के करीब 200 जवानों और 100 सिविल कर्मचारियों की तैनाती दूसरी जगह करने के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने पिछले वर्ष ही ईएमई के देशभर के वर्कशॉप को बंद कर उनकी जगह निजी क्षेत्रों में रिपेयर का काम सौंपने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में लखनऊ छावनी में 1942 में स्थापित स्टेशन वर्कशॉप को 30 मार्च को बंद कर दिया गया। मध्य कमान और मध्य यूपी सब एरिया में आने वाली यूनिटों के सैन्य वाहनों के अलावा हथियारों, सिग्नल, कम्युनिकेशन और राडार सहित सभी तरह के उपकरणों की मरम्मत इसी वर्कशॉप में होती थी। इसी वर्कशॉप के जवानों ने रिमोट चालित राइफल सहित कई आविष्कार भी किए। अब वर्कशॉप को बंद कर यह काम निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। वहीं, सेना ने वर्कशॉप के बगल में ही एक नई फील्ड वर्कशॉप के भवन का निर्माण किया, जिससे जवानों को फील्ड पोस्टिंग यहां पर दी जा सके।
पांच अप्रैल तक निपटाएंगे काम
वर्कशॉप के कमांडिंग अधिकारी की ओर से जो नोटिस जारी किया गया है, उसके तहत पांच अप्रैल तक वर्कशॉप में पिछले वित्तीय वर्ष से जुड़े सभी काम निपटाए जाएंगे। इस तिथि तक संबंधित निजी फर्मों को अपने लेनदेन से जुड़े काम भी पूरे करने होंगे।
ऐसी हुई थी स्थापना
सैन्य हथियारों को अचूक बनाने के उद्देश्य से ब्रिटिश आर्मी ने एक अक्टूबर 1942 को एक स्वतंत्र यूनिट रॉयल इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स की स्थापना की थी। इससे पहले यह काम रॉयल आर्मी की ऑर्डिनेंस कोर कर रही थी। एक मई 1943 को इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (आईईएमई) की स्थापना की गई। ले. जनरल क्लारेंस बर्ड आईईएमई के पहले कर्नल कमांडेंट बने। स्वतंत्रता के पश्चात इस कोर के नाम से आई शब्द हटा लिया गया। कोर का कलर बैज तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने 15 अक्टूबर 1964 को सौंपा।