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लव जिहाद कानून पर योगी सरकार के समर्थन में आए अफसर-बुद्धिजीवी, सीएम को पत्र लिखने वालों को दिखाया आईना

यूपी में लव जिहाद कानून को वापस लेने की मांग कर योगी सरकार की सोच और साख पर छींटे उड़ाने वाले 104 सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों को अब बुद्धिजीवियों ने एकजुट होकर आईना दिखाया है। अब 224 सेवानिवृत्त अफसर कानून और सरकार के समर्थन में खुलकर आ गए हैं।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 06:37 PM (IST)
लव जिहाद कानून पर योगी सरकार के समर्थन में आए अफसर-बुद्धिजीवी, सीएम को पत्र लिखने वालों को दिखाया आईना
224 सेवानिवृत्त अफसर और बुद्धिजीवी यूपी में लव जिहाद कानून को लेकर योगी सरकार के समर्थन में पत्र लिखा है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। जबरन या लालच सेे धर्म परिवर्तन रोकने के लिए योगी सरकार के लाए गए कानून को कुछ सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों ने समाज बांटने और नफरत फैलाने वाला बताया है। सरकार की सोच और साख पर छींटे उड़ाने वाले इन 104 सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों को अब बुद्धिजीवियों ने एकजुट होकर आईना दिखाया है। कानून और सरकार के समर्थन में खुलकर आए 224 सेवानिवृत्त आइएएस और आइपीएस अफसरों के साथ न्यायाधीशों व शिक्षाविदों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखने वाले पूर्व अफसरों को राजनीति और पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया है। साथ ही इस तरह सांप्रदायिक आग भड़काने का प्रयास न करने की सलाह दी है। 

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योगी सरकार बीते वर्ष उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लेकर आई है। उद्देश्य यही कि किसी का जबरन, लालच या धोखा देकर धर्म परिवर्तन न कराया जा सके। इसे लेकर पिछले दिनों 104 सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों की चिट्ठी इंटरनेट मीडिया पर सनसनी बन गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित इस पत्र में मुरादाबाद की एक घटना का जिक्र किया गया, जिसमें युवक-युवती सहमति से शादी कर रहे थे, फिर भी उसमें विवाद और कानूनी कार्रवाई हुई। उन अफसरों ने कानून को सामाजिक तानाबाना छिन्न करने वाला तक बताया।

अब इन पूर्व अधिकारियों की बात का जवाब देने के लिए देशभर के 224 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, आइएएस, आइपीएस अधिकारी, पूर्व कुलपति तथा वरिष्ठ नागरिक खुलकर आगे आए हैं। इन बुद्धिजीवियों का नेतृत्व करते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और राज्यसभा के महासचिव रहे योगेंद्र नारायन ने एक पत्र सार्वजनिक किया और मीडिया को भी भेजा है।

योगेंद्र नारायन ने पत्र में लिखा है कि हम समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आए चिंतित नागरिकों का फोरम है। लोकतंत्र और मानव मूल्यों में विश्वास जताते हुए लिखा गया है कि सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों का एक समूह पूर्वाग्रह से ग्रसित और व्यवस्था के खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है, जो कि खुद को गैर-राजनीतिक दिखाने की कोशिश करता है। वास्तविकता में यह राजनीति से प्रेरित है, जो हजारों प्रशासनिक अधिकारियों व अन्य बुद्धिजीवियों का प्रतिनिधि नहीं है।

योगेंद्र नारायन ने लिखा है कि पिछले दिनों 104 पूर्व अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जबरन धर्मांतरण संबंधी कानून पर पुनर्विचार की मांग की, जो गैर जिम्मेदाराना है। इससे पहले भी यह समूह लोकतंत्र और सांविधानिक संस्थाओं को कलंकित करने का व्यर्थ प्रयास कर चुका है। मुरादाबाद की घटना में जिम्मेदार और दोषियों पर कार्रवाई की पैरवी करते हुए पत्र में इस समूह को सलाह दी गई है कि मुरादाबाद के अपवाद पर कानून की समीक्षा न करें।

पत्र में कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन के लिए निर्दयता से मार दी गई मेरठ की एकता, बच्ची सहित कत्ल की गई चंचल चौधरी और सोनभद्र की प्रिया जैसी बहन-बेटियों को यह कानून बचाएगा। कहा गया कि जिस गंगा-जमुनी तहजीब का आपने हवाला दिया है, वह धर्म परिवर्तन नहीं, आपसी विश्वास, साझी कला-संस्कृति और भाषा से बचेगी।

हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नाम : सिक्किम हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश परमोद कोहली, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल, त्रिपुरा के पूर्व डीजीपी बीएल वोहरा, पंजाब के पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा, यूपी के पूर्व डीजीपी महेंद्र मोदी, राष्ट्रीय संग्रहालय के पूर्व महानिदेशक डॉ. बीआर मनी, केजीएमयू लखनऊ के पूर्व कुलपति मदनलाल ब्रह्मभट्ट, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि के पूर्व कुलपति डॉ. निशीथ राय, बनारस हिंदू विवि के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी आदि।


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