आयकर का शिंकंजाः खुलने लगे नोटबंदी के काले पन्ने और पड़ेंगे आयकर छापे
नोटबंदी के दौरान दो साल पहले बैंकों में भारी मात्रा में पुराने नोट जमा करने वालों की काली कमाई के पन्ने अब आयकर विभाग में खुलने लगे हैं।
लखनऊ, अमित मिश्र। नोटबंदी के दौरान दो साल पहले बैंकों में भारी मात्रा में पुराने नोट जमा करने वालों की काली कमाई के पन्ने अब आयकर विभाग में खुलने लगे हैं। बैंक में पुराने नोटों की शक्ल में मोटी रकम जमा करने के बाद दो साल तक कुछ न होने पर मामला खत्म समझ रहे लोगों के लिए यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं है कि वास्तव में इस पर असल कार्यवाही तो अब शुरू हुई है, जो जून 2021 तक चलेगी।
नोटबंदी में जमा कराए गए नोट बने आधार
कानपुर व लखनऊ में तीन दिन से छापे डाल रही आयकर टीम जिन कारणों से चिह्नित कारोबारियों के यहां पहुंची है, उसमें एक महत्वपूर्ण वजह एक व्यापारी द्वारा नोटबंदी के दौरान बैंक में जमा कराए गए 24 करोड़ रुपये भी हैं। इसी तरह नेता-अफसर हों या कारोबारी, सभी के बैंक खातों में नोटबंदी के दौरान गई रकम उनके खिलाफ पड़ताल की वजह बन रही है। हालांकि आठ नवंबर 2016 की रात नोटबंदी की घोषणा होने के बाद 31 मार्च 2017 तक बैंकों में जो बड़ी रकमें जमा कराई जा रही थीं, उसकी जानकारी तुरंत हासिल करने की व्यवस्था आयकर विभाग ने तब ही कर ली थी लेकिन, कार्यवाही शुरू करने के लिए आयकर रिटर्न दाखिल होने का इंतजार किया जा रहा था।
अचानक सामने आई रकम
आयकर अधिकारी यह देखना चाहते थे कि बैंक खातों में जमा के तौर पर अचानक सामने आई रकम का स्रोत लोग अपने रिटर्न में क्या बताते हैं, क्योंकि इससे पहले के रिटर्न में उनकी यह रकम जाहिर नहीं की गई थी। नोटबंदी के बाद सितंबर, 2017 तक दाखिल किए गए रिटर्न में से अधिक रकम वाले संदिग्ध मामले सेलेक्ट करने में आयकर विभाग को करीब एक साल लग गया। सितंबर, 2018 से इन मामलों को दोबारा खोलकर पड़ताल शुरू की गई है। आयकर के एक अधिकारी ने बताया कि इन मामलों पर एक तरफ 21 महीने यानी दिसंबर 2020 तक सुनवाई और एसेसमेंट का दौर पूरा होने के बाद जून 2021 तक पेनाल्टी तय की जाएगी तो साथ ही इनमें से कुछ मामलों पर छापे और जांच की भी कार्यवाही होगी।
और भी हैं निशाने पर
आयकर अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में चल रहे छापों की तरह मार्च तक कई और बड़े कारोबारी व अन्य लोग जांच व छापे की कार्यवाही के दायरे में आ सकते हैं। आयकर विभाग के पास प्रदेश के कई ऐसे बड़े लोगों का सिजरा आ गया है, जिन्होंने या तो नोटबंदी के दौरान बैंकों में रकम जमा करने के साथ अन्य जगहों पर निवेश किया है या उसके बाद काले धन को कहीं ठिकाने लगाया है। अधिकारियों के मुताबिक इसमें व्यापारियों के साथ कुछ बड़े अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं।