Lock down effect : 106 साल में पहली बार चारबाग स्टेशन पर नहीं गूंजे ट्रेन के हार्न, छाया रहा सन्नाटा
1974 की हड़ताल में भी दौड़ी थी लखनऊ मेल व पंजाब मेल अवध एक्सप्रेस गुजरी ऐशबाग होकर आखिरी ट्रेन।
लखनऊ, (निशांत यादव)। जो चारबाग रेलवे स्टेशन पिछले एक साल से 106 साल से ट्रेनों के शोर और डेढ़ लाख यात्रियों की चहलकदमी से इतराता था। वहां सोमवार काे दूर तक फैले सन्नाटे में चारबाग खुद को अकेला महसूस कर रहा था। उसका आंगन सूना था। प्लेटफार्म नंबर पांच पर खड़ी मेमू मानों खुद ही बात कर रही हो। आ िखर उसकी लेट लतीफी पर नाराज होने वाला ही कोई नहीं था। गरम चाय की आवाज तो सुनायी ही नहीं दी। आपकी यात्रा मंगलमय होने कहने वाला एनाउंसमेंंट वीरानी में कहीं गुम सा हो गया। सिगनल खड़े खड़े लाल ही रहे, तो एक भी इंजन का हार्न कोरोना के कारण छाए सन्नाटे को नहीं चीर सका।
पहली बार लखनऊ के चारबाग और लखनऊ जंक्शन पर एक भी ट्रेन नहीं चलीं। शहर के ऐशबाग से होकर अवध एक्सप्रेस जरूर बांद्रा से आकर मुजफ़्फरपुर की ओर रवाना हुई। दोनों ही स्टेशनों का भरा पूरा परिवार है। सन 1914 में बने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास यदि सबसे अधिक करीब 280 ट्रेनों का कुनबा है तो लखनऊ जंक्शन को लखनऊ मेल और शताब्दी जैसी वीआइपी ट्रेनों का घमंड है। लखनऊ मेल एक ट्रेन नहीं शहर की वह लाइफ लाइन है जो 1974 की रेलकर्मियों की हड़ताल में नहीं रुकी थी। तब प्रादे िशक सेना ने ही लखनऊ मेल को चलाया था।
पंजाब मेल दूसरी ट्रेन थी जो अमृतसर से लखनऊ होकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर तब मुगलसराय तक पहुंच गई। हां मुगलसराय में उसके पहिए रेलकर्मियों ने रोके थे। लेकिन पहली बार दोनों ही स्टेशनों की 340 ट्रेनों के पहिए थम गए। भीतर ही नहीं बाहर भी सन्नाटा पसरा रहा। दोनों ही स्टेशन कई लोगों की रोजी रोटी का बड़ा जरिया भी है।
चारबाग में 250 तो लखनऊ जंक्शन पर 150 कुली सामान उठाकर अपना परिवार पालते हैं। करीब 300 पंजीकृत प्रीपेड ऑटो, रोजाना 800 से अधिक ओला व ऊबर कैब, 150 रिक्शा चालक, खानपान के 40 से अधिक स्टाल, कमसम रेस्त्रां के दो दर्जन से अधिक कर्मचारी, पार्सल में काम करने वाले 60 मजदूर, 40 से अधिक पार्किंग स्टैंड कर्मचारी और अवैध और वैध 150 से अधिक वेंडर अपने परिवार का जीवन यापन यहां से मिले मेहनताने पर करते हैं। यहां रेलवे कर्मचारियों की संख्या ही चार हजार से अधिक है।
अब सिर्फ रेलवे प्रहरी चारबाग स्टेशन व लखनऊ जंक्शन पूरी तरह सील हो गया है। यहां आरपीएफ व जीआरपी के अलावा ट्रेन ऑपरेशन से जुड़े कर्मचारी ही मुस्तैद हैं। लॉकडाउन में यदि यात्री चारबाग स्टेशन किराए के रिफंड के लिए आते हैं तो उनके लिए रेलवे के कॉम्िर्शयल कर्मचारियों को करंट काउंटर पर तैनात किया गया है।