रेलवे अस्पताल ने वापस की सीटी स्कैन मशीन, कहा नहीं उठ पाएगा मरम्मत का खर्च
7.23 करोड़ की मशीन पहुंची लखनऊ ट्रक से उतारा ही नहीं। उत्तर रेलवे मंडल अस्पताल ने कहा 20 लाख सालाना है मरम्मत की लागत।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर रेलवे मंडल अस्पताल में सीटी स्कैन सुविधा पर ग्रहण लग गया है। चारबाग स्थित इस अस्पताल के सामने दो दिनों से सीटी स्कैन मशीन को लेकर ट्रक खड़ा है। रेलवे ने मशीन को उतारकर अस्पताल में लगाने से मना कर दिया है। अब इस मशीन को दक्षिण रेलवे को भेजने की तैयारी है। रेलवे ने इसके पीछे सीटी स्कैन की मरम्मत पर सालाना होने वाले खर्च के ज्यादा होने का हवाला दिया है।
चारबाग मंडल अस्पताल में वाराणसी तक करीब सेवारत 25 हजार रेलकर्मियों और उनके परिवारीजनों के साथ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के उपचार का जिम्मा है। इस अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन नहीं है। जिस कारण डॉक्टरों के रेफर पर उनको बाहर निजी पैथोलोजी से सीटी स्कैन करवाना पड़ता है। हर महीने इन कर्मचारियों को 15 लाख रुपये सीटी स्कैन की प्रतिपूर्ति की जाती है। उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन के सहायक मंडल मंत्री एमके मल्होत्रा ने वर्ष 2017 की स्थायी वार्ता तंत्र बैठक में सीटी स्कैन लगाने की मांग की थी। वर्ष 2018 में सीटी स्कैन मशीन का टेंडर हुआ। जर्मनी की एक कंपनी को 7.23 करोड़ रुपए की लागत से सीटी स्कैन मशीन देने का ठेका दिया गया। कंपनी ने मशीन दो दिन पहले लखनऊ भेजा था। अब रेलवे इस मशीन का इस्तेमाल इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि इसकी मरम्मत पर उसको सालाना 20 लाख रुपये खर्च करने होंगे। जबकि हर साल केवल 15 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति ही वह करता है।
क्या कहते हैं लखनऊ डीआरएम
लखनऊ डीआरएम संजय त्रिपाठी के मुताबिक, सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत की लागत बहुत अधिक है। रेलवे इससे कम भुगतान उन कर्मचारियों को करता है जिनसे वह बाहर से सिटी स्कैन कराता है। वहीं इस समय रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है। इस कारण यह मशीन दक्षिण रेलवे को भेजी जा रही है।