Corona Vaccination: लखनऊ में 18-44 आयु वर्ग के लिए चुनौती से कम नहीं टीके लगवाना, जानिए क्या हो रहीं दिक्कतें
देर शाम तक स्लॉट खुलता है तो कुछ लोग ही पंजीकरण करवा पाते हैं। पंजीकरण में लोगों को मनचाहा केंद्र नहीं मिलता अपने क्षेत्र से दूर के अस्पताल में वैक्सीन लगवानी पड़ती है। टीकाकरण प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए शुरू किए गए क्लस्टर सेंटरों पर वैक्सीनेशन नहीं हो रहा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता : कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए स्लॉट बुकिंग व्यवस्था इधर कुछ दिन से फिर बेपटरी हो गई है। 18 से 44 आयु वर्ग के लोग स्लॉट बुकिंग के लिए परेशान हैं। सुबह से ही कोविन पोर्टल पर लोग मशक्कत करने लगते हैं। देर शाम तक स्लॉट खुलता है, तो उस पर भी कुछ लोग ही पंजीकरण करवा पाते हैं। पंजीकरण में भी लोगों को मनचाहा केंद्र नहीं मिलता, अपने क्षेत्र से कहीं दूर के अस्पताल में वैक्सीन लगवानी पड़ती है। वहीं, टीकाकरण प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए शुरू किए गए क्लस्टर सेंटरों पर वैक्सीनेशन नहीं हो रहा।
प्रमुख अस्पतालों में पहले 45 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए बुकिंग खोली जा रही है। उसके बाद 18-44 आयु वर्ग के लोगों का नंबर आता है। जब लोग शाम को पांच बजे तक सभी अस्पतालों में 18 से 44 आयु वर्ग के लिए स्लॉट खुलने का इंतजार कर रहे थे, तब पीजीआइ, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निलमथा और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सआदतगंज में 45 पार वालों के लिए पहली जुलाई का विकल्प दिख रहा था। हालांकि, यहां वैक्सीन उपलब्धता नहीं दिखा रहा था। चौक निवासी एकता ने बताया कि वह सुबह से ही पंजीकरण के लिए जूझती रहीं, पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया।
टीका लगवाए बिना ही लौटना भी पड़ा : ठाकुरगंज के संयुक्त चिकित्सालय में वैक्सीन खत्म होने से कई लोगों को टीका लगवाए बिना ही लौटना भी पड़ा। इनमें कई सारे लोग ऐसे थे, जिन्होंने स्लॉट बुक करवा लिया था, पर वैक्सीन नहीं लग सकी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिनहट में भी वैक्सीन खत्म होने से लोगों को परेशान होना पड़ा।
निकट के अस्पतालों में नहीं मिल रही वैक्सीन : वैक्सीन के लिए लोगों को लंबा सफर भी तय करना पड़ रहा है। निकट के अस्पतालों में वैक्सीन की उपलब्धता न होने के कारण दूर के अस्पताल में पंजीकरण मजबूरी बन रहा। एल्डिको, वृंदावन योजना निवासी प्रियंका को हजरतगंज के अस्पताल में स्लॉट मिला। ऐसे ही गोमती नगर विस्तार निवासी अंशुमान सिंह चौहान को भी टीकाकरण के लिए हजरतगंज के अस्पताल जाना पड़ा।