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जेल में कैदियों को एचआइवी पॉजिटिव पर एनएचआरसी गंभीर, यूपी सरकार को नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को एड्स के बढ़ते मामले पर नोटिस जारी किया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 11:57 AM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 01:56 PM (IST)
जेल में कैदियों को एचआइवी पॉजिटिव पर एनएचआरसी गंभीर, यूपी सरकार को नोटिस
जेल में कैदियों को एचआइवी पॉजिटिव पर एनएचआरसी गंभीर, यूपी सरकार को नोटिस

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में उन्नाव में करीब चार दर्जन एचआइवी पॉजिटिव मिलने के बाद गोरखपुर जेल में एक महिला बंदी सहित दो दर्जन की रिपोर्ट एचआइवी पॉजिटिव मिलने से सनसनी फैल गई है। मामला गोरखपुर जिला जेल का है। कैदियों की इस तरह की रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी बेहद गंभीर है। आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर रिपोर्ट मांगी है।

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गोरखपुर जिला जेल में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने बीते वर्ष अक्टूबर में एचआईवी का पता लगाने के लिए कैदिया का ब्लड टेस्ट कराया था। सीएम योगी आदित्यनाथ के कर्मक्षेत्र की जिला जेल में 24 कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद से जेल महकमे में खलबली मच गई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को एड्स के बढ़ते मामले पर नोटिस जारी किया है। कैदियों में बढ़ते एड्स के मामले को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव और जेल के आईजी को नोटिस जारी करते हुए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने सरकार से कहा है कि मामले में छह दिन के अंदर रिपोर्ट दाखिल करें और यह भी बताएं कि सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि इस संबंध में, अगर मीडिया खबर सही है, तो उत्तर प्रदेश की जेलों की बदहाली के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। कैदियों में एचआईवी संक्रमण कैसे फैला, इसकी वजह का पता लगाने के लिए तत्काल जांच की आवश्यकता है। इसके साथ ही एहतियात के तौर पर तत्काल उपाय भी जरूरी है। जिससे अन्य कैदी एचआईवी से संक्रमित न होने पाएं। संक्रमित कैदियों को आवश्यक चिकित्सकीय उपचार मुहैया कराई जाए। 28 फरवरी को आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जेल प्रशासन ने दावा किया है कि बीमारी जेल के भीतर नहीं फैली, कैदी जब जेल में आए थे, तभी संक्रमण के शिकार थे। उनमें से अधिकांश मादक पदार्थों से जुड़े कानून के तहत जेल की सजा पाए थे।

उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की पहल पर पिछले साल अक्टूबर में एचआईवी का पता लगाने के लिए कैदिया का ब्लड टेस्ट कराया गया था। जिसमें एक महिला के साथ 24 कैदी के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी।

गोरखपुर जिला जेल में एचआईवी पॉजिटिव मिलने से जेल प्रशासन और कैदियों में खलबली मच गई। आईजी जेल के निर्देश पर जिला कारागार गोरखपुर में 1500 कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था। जिसमें 24 में एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी। जेल में बंद विचाराधीन कैदियों में ही सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे।

मामला सामने आने पर डीआईजी जेल यादवेंद्र शुक्ला ने बताया कि अभियान चलाकर कैदियों का स्वास्थ्य परिक्षण कराया गया था। 1500 कैदियों में 24 बंदी एचआईवी पॉजिटिव निकले हैं। सर्वाधिक एचआईवी पॉजिटिव विचाराधीन कैदियों में पाया गया है। कुछ सजायफ्ता कैदी भी हैं। ज्यादातर विचाराधीन इस कड़ी में है। इसके रोकथाम के लिए सारे कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा।

आइजी जेल के आदेश पर प्रदेश की सभी जेलों में चिकित्सा विभाग के स्पेशल कैंप लगवाकर बंदियों की एचआइवी जांच कराई जा रही है। गोरखपुर जिला जेल में अब तक 1400 बंदियों की जांच में दो दर्जन बंदी एचआइवी पाजिटिव मिले हैं।

एक महिला बंदी भी है पीडि़त

जिला जेल में 70 की संख्या में महिला कैदी भी है। जिसमें एक एचआइवी पाजिटिव है। उसका पहले से इलाज चल रहा है। जांच में अन्य महिला बंदियों की रिपोर्ट सामान्य है।

एचआइवी पाजिटिव बंदियों की होगी काउंसिलिंग

जेलर रामकुबेर सिंह का कहना है कि जो भी बंदी जांच में एचआइवी पाजिटिव मिले हैं उनके लिए जेल में काउंसलिंग की व्यवस्था की जाएगी। ताकि ऐसे बंदी कहीं हकीकत जानने के बाद डिप्रेशन का शिकार न हो जाएं। ऐसे सभी बंदियों का इलाज भी जेल प्रशासन कराएगा। जेलर का कहना है कि ऐसे बंदियों की निजता का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

इससे पहले, प्रदेश के उन्नाव में एचआईवी का ऐसा मामला सामने आया था। जिसने स्वास्थ्य महकमे के रोंगटे खड़े कर दिए थे। उन्नाव के बांगरमऊ में एक साथ 40 लोगों में एचआईवी का टेस्ट पॉजिटिव निकला था। रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2017 के नवंबर महीने में जिले में एक स्वास्थ्य कैंप लगा था, जिसके बाद 40 लोगों में एचआईवी के लक्ष्ण पाए गए थे। एचआईवी पीड़ितों का कहना था कि वह पहले जिले के नीम-हकीम और कुछ लोकल डॉक्टरों के पास इलाज कराने के लिए जाते थे। वह डॉक्टर उन्हें किसी भी तरह के इंजेक्शन से सूई और दवाई दे दिया करते थे, हो सकता है उन्हें इसी कारण एचआईवी हुआ हो। इस मामले पर बांगरमऊ के काउंसलर सुनील का कहना था कि इस मामले की सही से जांच की जाए तो पीड़ितों की संख्या 500 से ज्यादा पहुंच सकती है। 


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