दुनियाभर में 36.4 फीसद कोरोना संक्रमितों को न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम, शाेध में उजागर हुए चौंकाने वाले तथ्य
लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत चीन के वैज्ञानिकों ने कोरोना से ठीक हुए लोगों पर किया शोध। इनमें से 22.5 फीसद पोस्ट कोविड रोगी न्यूरो साइकेट्रिक समस्याओं के शिकार। लोहिया संस्थान में ऐसे कई दर्जन मरीजों का चल रहा इलाज।
लखनऊ, [धर्मेंद्र मिश्रा]। कोरोना से उबरे मरीजों को लेकर लंदन, अमेरिका व चीन जैसे देश के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध में चौंकाने वाली बात सामने आई है। शोध के अनुसार दुनिया भर में कोरोना से ठीक हुए करीब 36.4 फीसद मरीजों को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो रही हैं। इनमें से 22.5 फीसद मरीज न्यूरो साइकेट्रिक समस्याओं के शिकार हैं। जबकि 7.5 फीसद मरीजों को कांशसनेस से जुड़ी परेशानियां हैं। वहीं 2.8 फीसद मरीज स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। इनमें ब्रेन स्ट्रोक से लेकर पक्षाघात तक शामिल है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के मुख्य ऑथर डॉक्टर जॉनसन रोजर्स, इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय व अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना से उबरे 236000 से अधिक मरीजों पर यह शोध किया गया।शोध के अनुसार कोरोना से ठीक होने के छह माह बाद भी कई मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं व न्यूरो साइकेट्रिक परेशानियां हो रही हैं। इसे द लांसेट में हाल ही में प्रकाशित भी किया गया है। वहीं चीन के वैज्ञानिकों ने 40469 मरीजों पर अध्ययन के बाद पाया कि इनमें से 9086 मरीज यानी 22.5 फीसद लोग न्यूरो साइकेट्रिक समस्याओं के शिकार हैं। इसे भी जामा न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किया जा चुका है।
लोहिया संस्थान में कई दर्जन मरीजों का चल रहा इलाज: लोहिया संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अब्दुल कवि के अनुसार यहां न्यूरोलॉजिकल व न्यूरो साइकेट्रिक समस्याओं से पीड़ित कई दर्जन मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं। उन्होंने बताया की पोस्ट कोविड मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक व जीबी सिंड्रोम (गुलेन बैरी) जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। वहीं न्यूरो साइकेट्रिक समस्याओं में प्रमुख रूप से सर दर्द, नींद नहीं आना, मांसपेशियों का दर्द, मायोल्जिया व स्वाद एवं सूंघने की क्षमता का गायब होना, पोलीन्यूरोपैथी रेडीकुलोपैथी, चक्कर आना, दौरे पड़ना, लकवा मारना, व मूवमेंट डिसऑर्डर इत्यादि हैं।
रहें सतर्क: डॉ अब्दुल के अनुसार अचानक चेहरे में टेंढ़ापन आना, देखने में परेशानी होना, शरीर में झुनझुनाहट, सुन्नपन, कमजोरी इत्यादि का महसूस होना व हाथ पैरों में दर्द के साथ कमजोरी, बोलने और निगलने में समस्या होना इत्यादि लकवा व जीबी सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे बचने का यही उपाय है कि ऐसे लक्षण दिखते ही तत्काल न्यूरो फिजीशियन या न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। लक्षणों को कतई नजरअंदाज नहीं करें।