National Nutrition Month: देशभर में 20 फीसद बच्चे कुपोषित, इन सस्ते सुलभ आहार से भी मिलता है पोषण
National Nutrition Month भारत में गरीबी अशिक्षा स्वास्थ्य शिक्षा का अभाव भोजन के घटकों की जानकारी का अभाव व शरीर की बनावट का समुचित ज्ञान न होना जैसे कुपोषण के मुख्य कारण हैं।
लखनऊ, जेएनएन। देशभर में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में 37 फीसद बच्चे सामान्य से कम लंबाई के हैं। वहीं, 20 फीसद बच्चे सामान्य से कम वजन के हैं। यानी ऐसे बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों के दौरान पोषण विषय पर आयोजित जागरूकता गोष्ठी में ये बातें निकल कर आईं। उप्र राज्य आयुष सोसायटी द्वारा संचालित आयुष संवाद कार्यक्रम में बच्चों एवं किशोरों के पोषण विषय पर जागरूकता गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी में राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय टूरियागंज में बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेश नारायण गुप्त ने बताया कि भारत में गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा का अभाव, भोजन के घटकों की जानकारी का अभाव व शरीर की बनावट का समुचित ज्ञान न होना जैसे कुपोषण के मुख्य कारण हैं। वहीं, बच्चों में देर से अन्नप्राशन कराना भी एक प्रमुख कारण है। भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण व जल की संतुलित मात्रा होनी चाहिए।
महर्षि चरक ने पंच महाभूत व छह रसों से युक्त भोजन का सेवन बताया उत्तम
आयुर्वेद में महर्षि चरक ने भोजन को पंचमहाभूत युक्त व छह रसों से युक्त होना उत्तम बताया है। महर्षि चरक ने आहार के 12 वर्ग बताए हैं जिसमें शूक धान्य, सिंबी धान्य, मांस वर्ग, जल वर्ग, घृत वर्ग, तैल वर्ग, मधु वर्ग, हरित वर्ग, शाक वर्ग, इक्षु वर्ग, फल वर्ग, मद्यवर्ग हैं। भोजन में कैलोरी का प्रमुख स्रोत कार्बोहाइड्रेट व वसा हैं। वहीं, शरीर की जरूरत का 50 फीसद कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से, 35 फीसद कैलोरी वसा से व 15 फीसद कैलोरी प्रोटीन से मिलनी चाहिए।
सस्ते सुलभ आहार से भी मिल सकता है पोषण :
डॉ. गुप्ता ने बताया कि हमें अपने बच्चों के पोषण के लिए बहुत महंगे खाद्य पदार्थों की जरूरत नहीं होती है। अपने आसपास उपलब्ध सस्ते खाद्य पदार्थों के जरिए भी उत्तम पोषण बच्चों को दे सकते हैं। भोजन में अनाज, दालों, हरी सब्जियों, कंद वाली सब्जियों, फल, दूध, वसा व गुड़ का नियमित प्रयोग करना चाहिए। मूंगफली, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा व मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत है। मूंगफली में 26 फीसद प्रोटीन पाया जाता है। इसी प्रकार सोयाबीन शाकाहार होते हुए भी मांस व मछली से अधिक 43 फीसद प्रोटीन प्रदान करता है। मौसमी फलों व सब्जियों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। हरी सब्जियों में पालक, पत्ता गोभी, फूलगोभी का पत्ता, सरसों का साग, प्याज की पत्तियां, चौलाई शामिल करना चाहिए। कंद में आलू , घुइयां, शलजम, प्याज, लहसुन को भोजन में शामिल करना चाहिए। फलों में मौसमी फल जैसे केला, तरबूज, खरबूजा, जामुन, अंगूर, अनार, सेब, पपीता, आम, संतरा, अमरूद आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा सभी प्रकार की दालों का सेवन जरूर करें। कुछ दालो में विशेष प्रकार के प्रोटीन तो कुछ दालों में विशेष प्रकार के अमीनो एसिड्स होते हैं इसलिए मिक्स दालों का सेवन करने से सभी प्रकार के अमीनो एसिड्स मिल जाते हैं।
दूर रखें जंक फूड से :
इस मौके पर राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी सिंह ने
बताया कि आधुनिक परिपेक्ष्य में बच्चों में परिवर्तित जीवनशैली के कारण बच्चों में स्ट्रेस, एंजाइटी, डिप्रेशन, स्लीपिंग डिसऑर्डर, मोटापा, कॉन्स्टिपेशन (कब्ज) जैसे विकार मुख्य रूप से सामने आ रहे हैं। ऐसे में, बच्चों को जंक फूड फास्ट फूड से दूरी बनाते हुए अपने पारंपरिक पकवान व लईया-चना, खुरमा, नमकपारा, शकरपारा, गुड़-चना, गुड़-नारियल, अलसी के लड्डू, तिल के लड्डू ,चावल के आटे का लड्डू, बेसन का लड्डू, पोहा, भुना गेहूं, गुड़-मूंगफली की चिक्की, रेवड़ी आदि का सेवन बच्चों को नियमित कराना चाहिए जिससे बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सके।
इस मौके पर डॉ. जाहिद, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. वाहिद, डॉ. सीमा पाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके आयुष सोसायटी की ओर से कार्यक्रम में शामिल अभिभावकों को फल वितरित किए गए।