एनएचआरसी ने कानपुर के राजकीय संरक्षण गृह बालिका मामले में यूपी सरकार से मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कानपुर स्थित संवासिनी गृह में 57 किशोरियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
लखनऊ, जेएनएन। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कानपुर स्थित संवासिनी गृह में 57 किशोरियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। राष्ट्रीय मानीवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस देकर चार सप्ताह में पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संक्रमित पाई गई किशोरियों में कई लड़कियां गर्भवती हैं, जबकि एक एचआइवी पॉजिटिव है। इनको कोरोना होने की पुष्टि पहले हो चुकी थी, लेकिन उन्हें अस्पताल ले जाने में अनावश्यक देरी की गई। आयोग ने इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला माना है। साथ ही इसे लेकर डीजीपी को भी नोटिस देकर प्रकरण में दर्ज एफआइआर और विवेचना की प्रगति रिपोर्ट चार सप्ताह में तलब की है। एचएनआरसी ने मामले में राज्य सरकार से किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने की अपेक्षा भी की है।
बता दें कि राजकीय बाल संरक्षण गृह कानपुर की सात गर्भवती किशोरियों में पांच कोरोना संक्रमित हैं। इन्हें आगरा, एटा, कन्नौज, फीरोजाबाद व कानपुर के बाल कल्याण समिति से संदर्भित कर रखा गया है। सभी यहां आने से पूर्व गर्भवती थीं। दो को हैलट को और तीन को रामा मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल में रखा गया है। हैलट में भर्ती एक को आठ माह और दूसरी को साढ़े आठ माह का गर्भ है। यहां जांच में एक-एक एचआईवी संक्रमित पाई गई है, जबकि दूसरी को हेपेटाइटिस सी का संक्रमण है।
दोनों किशोरियों की उम्र 17 वर्ष है, उन्हें एचआइवी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण होने से हाई रिस्क पर रखा गया है। किशोरियों का पूरा पूरा ब्यौरा खंगाला जा रहा है। राजकीय बाल संरक्षण गृह को सील कर दिया गया है। जिलाधिकारी डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि बालिका संरक्षण ग्रह में कुल 57 बालिकाएं संक्रमित पाई गई हैं। 115 बालिकाओं व स्टाफ के 34 कर्मचारियों को क्वारंटाइन कराया गया है।
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