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National Girl Child Day 2022: जान‍िए कौन हैं सुषमा वर्मा, महज 17 साल की उम्र में हास‍िल की ये उपलब्‍ध‍ि

National Girl Child Day 2022 सुषमा ने अपनी योग्यता के दम पर मजदूर पिता तेज बहादुर का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। सुषमा वर्तमान में माइक्राे बायोलाजी विषय में शोध कर रही हैं। सुषमा का नाम लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 04:48 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 04:48 PM (IST)
National Girl Child Day 2022: जान‍िए कौन हैं सुषमा वर्मा, महज 17 साल की उम्र में हास‍िल की ये उपलब्‍ध‍ि
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय से माइक्राे बायोलाजी में कर रही रिसर्च।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। पुरुष प्रधान समाज में बालिकाओं को उनके समान अधिकारों के लिए हर साल 24 जनवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हम आपको एक ऐसी मेधावी शोधार्थी से मिलवाते हैं जिसने महज 17 साल की उम्र में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी में इनरोल हो गई। कोरोना काल की त्रासदी के बीच शोध पूरा होने में भले ही समय लग रहा हो, लेकिन उसके हौसले बुलंद हैं। हम बात कर रहे हैं योग्यता के दम पर आधी आबादी को पूरी आजादी मिलने की वकालत करने वाली मेधावी और विलक्षण प्रतिभा की धनी सुषमा वर्मा की। विलक्षण प्रतिभा की धनी सुषमा ने अपनी योग्यता के दम पर मजदूर पिता तेज बहादुर का सीना न केवल गर्व से चौड़ा कर दिया बल्कि आर्थिक विपन्नता के बावजूद अपनी पढ़ाई को जारी रखा। वर्तमान में माइक्राे बायोलाजी विषय में शोध करने में लगी हैं। 

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लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम : सुषमा कानपुर रोड के एक निजी विद्यालय में पढ़ती रहीं। पांच साल की उम्र में सुषमा वर्मा ने नवीं कक्षा में प्रवेश लिया था। अपने भाई शैलेंद्र से किताबें मांगकर पढ़ा करती थीं। शैलेंद्र 14 साल की उम्र में बीसीए की परीक्षा पास कर लिए थे। अब वह बेंग्लुरू में नौकरी करते हैं। 2007 में सात साल की उम्र में यूपी बोर्ड की 10वीं की परीक्षा पास करने के लिए लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में सुषमा का नाम दर्ज हुआ था। सात साल तीन महीने आठ दिन की उम्र परीक्षा पास की थी। 2009 में 12वीं पास करने के बाद जापान में आईक्यू टेस्ट में शामिल होने का निमंत्रण मिला। इस टेस्ट में 35 साल तक की उम्र के लोग शामिल हुए थे, सुषमा को टेस्ट में पहला स्थान मिला।

डाक्टर बनने का सपना संजोए सुषमा ने 13 साल की उम्र में कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) की परीक्षा दी,लेकिन उम्र कम होने की वजह से परिणाम घोषित नहीं किया गया फिर सुषमा ने लखनऊ विश्वविद्यालय में बीएससी में दाखिला ले लिया। स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एमएससी में दाखिला दिलाने के लिए मजदूरी करने वाले उनके पिता के पास पैसे नहीं थे। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति ने पिता तेज बहादुर को यही पर नौकरी दी और उसकी पढ़ाई का इंतजाम किया। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजय सिंह के संरक्षण और प्रो.नवीन अरोरा के निर्देशन में वह शोध कर रही है।


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