Ayodhya Dhannipur Masjid: हिंदू-मुस्लिम की साझी विरासत दर्शाएगा अयोध्या का धन्नीपुर म्यूजियम
Ayodhya Dhannipur Masjid सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर में मिली पांच एकड़ भूमि में बनने वाले अस्पताल और मस्जिद के साथ ही म्यूजियम भी खास होगा। म्यूजियम में हिंदू-मुस्लिम की साझी विरासत को दर्शाया जाएगा।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर में मिली पांच एकड़ भूमि में बनने वाले अस्पताल और मस्जिद के साथ ही म्यूजियम भी खास होगा। म्यूजियम में हिंदू-मुस्लिम की साझी विरासत को दर्शाया जाएगा। 1857 की क्रांति से लेकर आजाद भारत तक के सफर में किस तरह हिंदू-मुस्लिमों ने साझा संघर्ष किया, इसे प्रमुखता से दिखाया जाएगा। इस म्यूजियम में पूरा फोकस अवध पर रहेगा। अमीर खुसरो, कबीर, रसखान आदि कवियों के महत्वपूर्ण योगदान को भी लोगों को बताया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पांच एकड़ भूमि पर अस्पताल, मस्जिद, म्यूजियम, लाइब्रेरी, कम्युनिटी किचन आदि बनाने के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट बनाया है। मस्जिद कॉम्प्लेक्स के बगल में भूमिगत म्यूजियम बनाया जाएगा। म्युजियम 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा। इसे स्थापित करने की जिम्मेदारी जेएनयू में अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय के प्रोफेसर रहे और खानपान विशेषज्ञ पुष्पेश पंत को सौंपी गई है। 1857 में अवध के बगावत के नायकों में फैजाबाद के मौलवी अहमदुल्लाह शाह का नाम सबसे बड़ा है। उन्होंने न सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता की बेल सींची, बल्कि अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए।
अवध के लोगों के बारे में मिलेगी जानकारी : लखनऊ के अब्दुल बारी फिरंगी महली ने भी हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रचार किया। खिलाफत आंदोलन के दौरान वे महात्मा गांधी के साथ रहे। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से हिंदुओं के सम्मान में गायों का बलिदान न करने का आग्रह किया। महात्मा गांधी भी करीब छह महीने तक लखनऊ में उनके साथ फिरंगी महल में ही रहे थे। ऐसे ही अवध के लोगों के बारे में आमजनों को विस्तार से इस म्यूजियम के जरिए बताया जाएगा।
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रयासों को दर्शाएंगे : इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव एवं प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा कि कबीर की कविता और जीवन सांप्रदायिक सद्भभाव की मिसाल हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया। दोनों धर्मों के पाखंडों का विरोध किया। कृष्ण भक्त कवियों में रसखान का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। मुस्लिम परिवार में जन्म लेकर भी उन्होंने हिंदुओं के देवता कृष्ण की भक्ति की। उन्हें भी हिंदू व मुस्लिमों को जोड़ने वाली कड़ी के रूप में देखा जाता है। म्यूजियम में इस तरह के कई लोगों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
एक स्थान पर मिलेंगे तरह-तरह के जायके : यहां आने वालों को देशभर के अलग-अलग प्रांतों के जायके भी एक स्थान पर मिलेंगे। इसके लिए फाउंडेशन यहां एक कैफे भी बनवा रहा है। इसकी भी जिम्मेदारी खानपान विशेषज्ञ पुष्पेश पंत को सौंपी गई है। फाउंडेशन उनकी विशेषज्ञता का फायदा उठाएगा। यहां पर एक लिबास का भी सेक्शन बनाया जाएगा। इसमें अवध के पारंपरिक परिधानों की बिक्री भी की जाएगी।