एक सप्ताह में मिलेगी मृतक आश्रितों को नौकरी, कर्मचारियों की मांग के आगे झुका लखनऊ नगर निगम
मृतक कर्मचारी के आश्रित को नियमित नौकरी देने पर रोक लगाने से नाराज नगर निगम लखनऊ के कर्मचारियों ने बुधवार को काम बंद कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के चलते नगर निगम मुख्यालय समेत सभी जोनल कार्यालयों में कोई काम नहीं हुआ।
लखनऊ, जेएनएन। नगर निगम कर्मचारियों का आंदोलन रंग लाया। अब एक सप्ताह से दस दिन में ही मृतक आश्रितों को नौकरी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। कामकाज ठप कर नगर निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के बीच पहुंचीं अपर नगर आयुक्त डा. अर्चना द्विवेदी ने कहा कि प्रशासन की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि मृतक आश्रितों को नौकरी न दी जाए। आवेदन करने वालों का परीक्षण कमेटी को करना था। अगर इससे कर्मचारी सहमत नहीं हैं तो बिना कमेटी के ही नियुक्ति की प्रक्रिया होगी, जो एक सप्ताह से दस दिन में पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद दोपहर तीन बजे कर्मचारियों ने अपना प्रदर्शन कर खत्म दिया। वैसे प्रदर्शन एक दिन का था लेकिन कर्मचारियों ने बुधवार को अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा कर दी थी।
इससे पूर्व सुबह से ही नगर निगम कर्मचारी अपने जोनल कार्यालयों से लालबाग मुख्यालय पर जुटने लगे थे तो दोपहर बाहर बाहर बजे तक पांच हजार कर्मचारियों का जमावड़ा हो गया था। सफाई कर्मचारी भी सफाई कार्य कर आंदोलन में शामिल हो गए। प्रदर्शन के चलते नगर निगम मुख्यालय के सामने वाहनों का आवागमन बंद हो गया। कर्मचारियों की मांग थी कि मृतक कर्मचारी के आश्रित को नियमित नौकरी देने पर रोक लगाई गई रोक को हटाया जाए और अपनी मांग को लेकर दिन भर नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शन के चलते नगर निगम मुख्यालय समेत सभी जोनल कार्यालयों में कामकाज बंद रहा कोई काम नहीं हुआ और काम कराने आए लोगों को बैरंग होना पड़ा।
मंगलवार शाम को नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी से कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक में कोई सार्थक हल न निकलने के बाद ही कर्मचारियों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। नगर आयुक्त ने मृतक आश्रितों की भर्ती के लिए कमेटी बनाने का आश्वासन दिया था, जिससे कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी सहमत नहीं थे। प्रदर्शन में शामिल कर्मचारी संयुक्त मंच के शशि कुमार मिश्र, आनंद वर्मा, राजेश सिंह, सैयद कैसर रजा,नरेश बाल्मीकि, जुगल किशोर वाल्मीकि, माया धानुक, सुरेश चन्द्र धानुक, चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री सुनील धानुक, कमल बाल्मीकि, बृजेश चौधरी, जगदीश बाल्मीकि, अशोक बाल्मीकि, राम कुमार रावत, अशोक गोयल, शमील एखलाक ने भी संबधित किया। उनका कहना था कि मृतक आश्रित नियमावली 1974 के क्रम में निर्गत सभी संशोधनों, समय-समय पर शासनादेशों एवं उच्च न्यायालयों के आदेश में मृतक आश्रित की नियुक्ति को लेकर कमेटी बनाने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन नगर निगम प्रशासन इन आदेशों की अनदेखी कर कमेटी का गठन करना चाहता है। वर्तमान समय 50 मृतक कर्मचारियों के परिवार नौकरी के लिए भटक रहे हैं।
कम जमा हो सका हाउस टैक्स
नगर निगम के कांउटर पर हर दिन करीब 60 लाख रुपये भवन कर का जमा होता है लेकिन कर्मचारियों द्वारा काउंटर बना करा देने से नौ लाख ही जमा हो पाया। सुबह काउंटर खुले थे, जिसे बंद करा दिया गया था। इसी तरह जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाए।