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हामी भरने के बाद LDA को जमीन देने से मुकरा नगर निगम, अधर में लटका बहुमंजिला रैन बसेरे का निर्माण

चारबाग स्थित ब्लंट स्क्वायर में एलडीए को देनी थी तीस हजार वर्ग फीट जमीन रैन बसेरा बनने से यहां सबसे ज्यादा फायदा होता। ठंडियों व राजधानी में होने वाली परीक्षा के समय सैकड़ों अभ्यर्थी इन्हीं रैन बसेरे में रुकते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 10:34 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:34 AM (IST)
एलडीए की बोर्ड मीटिंग में हां बोलने के बाद जमीन देने से पीछे हटा नगर निगम।

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा ने महीनों मशक्कत करके ऐशबाग में नजूल की जमीन खाली करवाई और फिर उस पर रैन बसेरे का खाका खींचा। पूरा मसौदा तैयार होने के बाद इसे लविप्रा की बोर्ड मीटिंग में रखा गया। मंडलायुक्त भी प्रस्ताव से संतुष्ट नजर आए और सदस्य भी। इस बीच बोर्ड बैठक में अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने चारबाग स्थित ब्लंट स्क्वायर में जमीन देने की बात बोल दी, क्योंकि चारबाग यात्रियों के दृष्टिकोण से ज्यादा महत्वपूर्ण था। यह सब तय होने के चंद सप्ताह बाद नगर निगम ने जमीन  देने से मना कर दिया और पूरी योजना फिलहाल फाइलों में बंद हो गई है। उद्देश्य था कि लविप्रा बनाएगा और नगर निगम को इसका संचालन करेगा। 

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डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने इस पूरे मसले को लेकर काम तेज कर दिया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने नवंबर 2021 के आसपास नजूल की कई हजार वर्ग फीट जमीन ऐशबाग में खाली कराई थी। यहां बहुमंजिला और सबसे आधुनिक रैन बसेरा बनाने  की योजना था। बकायदा भूमिगत पार्किंग के अलाव कई सौ लोगों के रुकने की व्यवस्था थी। यहां लिफ्ट, मेस सहित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए चर्चा भी हो गई थी।अब नगर निगम द्वारा हाथ खींचने से प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गए हैं। इसको लेकर एक बार फिर लविप्रा व नगर निगम अफसरों की बैठक प्रस्तावित है। बैठक में रैन बसेरे के लिए जमीन का चिन्हिकरण और निर्माण से जुड़ी समग्र चर्चा होनी है। 

चारबाग में बनने से सबसे ज्यादा होगा लाभ 

चारबाग में रैन बसेरा बनने से यहां सबसे ज्यादा फायदा होता। ठंडियों व राजधानी में होने वाली परीक्षा के समय सैकड़ों अभ्यर्थी इन्हीं रैन बसेरे में रुकते हैं। चारबाग में पहले से संचालित हो रहे रैन बसेरा पूरी तरह से फुल हो जाता है। इसलिए चारबाग स्थित ब्लंट स्क्वायर में रैन बसेरा बनने से सैकड़ो लोगों को लाभ मिलता। वहीं अब नगर निगम अपनी जमीन का उपयोग वाणिज्यक गतिविधियों के लिए कर सकता है।


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