Muharram 2020: शारीरिक दूरी के साथ दफन हुए ताजिए, 10वीं मुहर्रम पर नहीं जा सके थे कर्बला
Muharram 2020 सोमवार सुबह से ही पुराने शहर में ताजिए दफन करने का सिलसिला शुरू हो गया जो देर शाम तक लगातार जारी रहा।
लखनऊ, जेएनएन। सरकार की गाइडलाइन का पालन कर पहली बार लखनऊ में अशूर (दस मुहर्रम) के दिन शिया समुदाय के लोग घरों में रखे ताजिए दफनाने कर्बला नहीं गए थे। दो दिन की सप्ताहिक बंदी के बाद सोमवार को अजादारों ने घर से करीब कर्बला में ताजिए दफन किए। मास्क लगाकर शारीरिक दूरी के साथ अजादार कर्बला पहुंचे, जहां बारी-बारी उन्होंने अपने ताजिए सुपुर्द-ए-खाक कर अपने इमाम को छलकते आंसुओं के साथ विदाई दी। भीड़ न लगे इसके लिए कर्बला के जिम्मेदारों ने एक-एक करके अजादारों को इंट्री देकर ताजिए दफन करने में सहयोग किया।
सोमवार सुबह से ही पुराने शहर में ताजिए दफन करने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर शाम तक लगातार जारी रहा। अपने घरों से ताजिए लेकर अजादारों करीब की कर्बला पहुंचे। जगह-जगह कर्बला में ताजिए दफन करने से कहीं भी भीड़ नहीं लगी। एक ओर जहां कश्मीरी मुहल्ला, हसनपुरिया व मंसूर नगर में रहने वाले लोगों ने एक-एक करके रौजा-ए-काजमैन में ताजिए दफन किए तो वहीं, नक्खास, शाहगंज सहित आसपास के इलाके में रहने वालों ने हैदरगंज स्थित कर्बला पुत्तन साहिबा में अपने ताजिए दफन किए। इसी तरह सरफराजगंज व बालागंज के आसपास के लोग ताजिए लेकर कर्बला अब्बास बाग पहुंचे। हुसैनाबाद व शीशमहल आदि इलाके के लोग ताजिए लेकर काला इमामबाड़ा गए। जबकि, मुफ्तीगंज व आसपास रहने वाले लोगों ने इमामबाड़ा मिश्रिक की बगिया में ताजिए सुपुर्द-ए-खाक किए। वहीं, कोरोना संक्रमण के चलते 11 मुहर्रम को होने वाले सभी बड़े आयोजन स्थगित रहे।
कर्बला के शहीदों का तीजा आज
मंगलवार को कर्बला के 72 शहीदों के तीजा मनाया जाएगा। शिया समुदाय के लोग घरों में शहीद-ए-कर्बला और असीरान-ए-कर्बला की नज्र दिलाएंगे। तीजे पर घरों में सोग (गम) के प्याले और शर्बत सहित विभन्न चीजों पर नज्र होगी। वहीं, घरों में मजलिस-मातक कर इमाम के चाहने वाले कर्बला के शहीदों का गम मनाएंगे। तीजे पर शहरभर में होने वाले सभी बड़े धार्मिक आयोजन स्थगित रहेंगे।