लखनऊ विश्वविद्यालय का स्वर्णिम इतिहास हो रहा दागदार, पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं Lucknow News
लखनऊ विश्वविद्यालय में पहले भी हो चुकी हैं शर्मसार करने वाली घटनाएं। जिन पर जांच की मांग तक हुई है।
लखनऊ, जेएनएन। कभी ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालय के समकक्ष होने का दावा करने और देश को न जाने कितने अनमोल रत्न देने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय की चमक को अपनों ने ही फीका करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विवि का इतिहास स्वर्णिम रहा, यह गर्व का विषय है, मगर बीते कुछ वर्षों में आंतरिक स्थिति दिन ब दिन गिरती चली गई।
इन घटनाओं से उठे सवाल
- 2010 में बीए परीक्षा का पेपर लीक हुआ था
- 17 अप्रैल 2019 को लविवि में सालों से चल रहे फर्जी मार्कशीट रैकेट का उजागर होना
- अक्टूबर 2019 में लविवि के खाते से एक करोड़ 40 लाख रुपये गबन का मामला
- अक्टूबर 2019 को यूजीसी के चेयरमैन के कार्यक्रम के लिए फर्जी कोटेशन पर दिया गया टेंडर
- अक्टूबर 2019 में एंथ्रोपॉलजी के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. उदय प्रताप सिंह पर करीब दस लाख रुपये गबन का मामला सामने आना
क्या कहते हैं छात्र व शिक्षक संघ
लविवि शिक्षक संघ (लूटा) अध्यक्ष, डॉ. नीरज जैन ने कहा कि पूर्व में ऐसे तमाम प्रकरण रहे हैं, जिससे विवि को शर्मसार होना पड़ा। विवि का गौरवशाली इतिहास रहा है। ऐसी घटना से निश्चित तौर पर छात्रों को नुकसान और शिक्षकों की मानहानि होती है। पूरे प्रकरण की जांच एसटीएफ करेगी तो जो लोग शामिल हैं, वह बेनकाब हो जाएंगे।
एबीवीपी विवेक सिंह, (मोनू सिंह) ने कहा कि पेपर लीक प्रकरण में जो प्रोफेसर दोषी हैं और जिस महिला परीक्षार्थी ने पेपर के बारे में जानकारी ली है, सभी पर सख्त कार्रवाई हो। इससे छात्रों को परेशानी उठानी पड़ी है।