सड़क से घर तक शोहदों का 'साया', महज 11 महीने में दो लाख से ज्यादा शिकायत Lucknow News
पड़ताल हैदराबाद के बहाने खंगाले गए 1090 के आंकड़े। अच्छी बात है कि कारगार साबित हो रहे प्रयास समस्याओं का निस्तारण ग्राफ 90 प्रतिशत से ऊपर।
लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। घर के बाहर खेल रही मासूम हैवानियत की शिकार हो जा रही हैं। ऑफिस से लौट रही बेटी को जिंदा जला दिया जा रहा है। हकीकत यह नहीं कि सड़क पर ही महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इससे इतर वास्तविकता कहीं ज्यादा भयावह है। शोहदे घर की दहलीज के भीतर तक दस्तक दे रहे हैं। इस कारण 'आधी आबादी' को मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ रहा है।
ऐसा हम नहीं, बल्कि हैदराबाद के बहाने खंगाले गए 1090 के आंकड़े बता रहे हैं। महज 11 महीने में दो लाख 13 हजार 581 महिलाओं ने वूमेन पॉवर लाइन में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इनमें दो लाख 10 हजार 507 शिकायतों का निस्तारण हुआ है, जिसका प्रतिशत 98.60 है। जबकि 2018 में दो लाख 66 हजार पांच तथा वर्ष 2017 में दो लाख 21 हजार 943 शिकायतें वूमेन पॉवर लाइन को प्राप्त हुई थीं, जिनका निस्तारण प्रतिशत 99.90 है।
साइबर संसार में भी जमकर छेड़छाड़, 23,468 आई शिकायतें
साइबर संसार में भी महिलाओं की प्रताडऩा बढ़ रही है। इस साल सितंबर तक 23 हजार 468 शिकायतें साइबर क्राइम से जुड़ी प्राप्त हुई हैं। इससे पहले वर्ष 2018 में यह 17 हजार और 2015 में यह आंकड़ा महज चार हजार के करीब था।
49 फीसद शोहदे वाट्सएप के जरिए करते परेशान
आंकड़ों पर गौर करें तो साइबर से जुड़ी शिकायतों में पांच प्रतिशत ब्लैकमेलिंग, सात प्रतिशत हैकिंग, 15 प्रतिशत अश्लील मैसेज, 18 प्रतिशत डराने और 53 प्रतिशत मानहानि से संबंधित हैं । इनमें 49 फीसद महिलाओं को शोहदों ने वाट्सएप के जरिए परेशान किया है। वहीं, फेसबुक और इंस्टा के माध्यम से 40 फीसद महिलाओं को शोहदों प्रताडि़त करते हैं। नेट कॉलिंग से चार, दूसरे वेबसाइट से दो, पॉर्न वेबसाइट से दो, विभिन्न एप्लिकेशन से एक और जी-मेल व यूट्यूब से दो फीसद महिलाओं को टारगेट बनाया जाता है।
53 प्रतिशत घरेलू महिलाएं निशाने पर
वूमेन पॉवर लाइन के आंकड़ों के मुताबिक, फोन कॉल कर प्रताडि़त करने वाले शोहदे सबसे ज्यादा घरेलू महिलाओं को परेशान करते हैं। इनकी संख्या 53 प्रतिशत है। इसके बाद 34 प्रतिशत छात्राएं इनके निशाने पर रहीं। जबकि 11 फीसद कामकाजी महिलाओं को शोहदों की हरकतों का शिकार होना पड़ा। यही नहीं उम्र के हिसाब से सर्वाधिक 25 से 30 आयु वर्ग की युवतियां सर्वाधित 31 प्रतिशत बदमाशों के टारगेट पर रहीं। इसके अतिरिक्त 15 से 20 आयु वर्ग की 21, 25 से 30 आयु वर्ग की 18, 30 से 40 आयु वर्ग की 17 और 40 से 50 आयु वर्ग की छह प्रतिशम महिलाओं में असुरक्षा का भाव उत्पन्न हुआ। उन्हें 1090 फोन कर शिकायत करनी पड़ी।
ये बातें भी जानें
- 1090 के आंकड़े बता रहे प्रदेश के हालात
- 2,130581 शिकायतें सितंबर तक दर्ज हुईं
- 2,10,507 मामलों का वूमेन पॉवर लाइन से निस्तारण
- 25,468 प्रकरण सिर्फ साइबर से जुड़े आए
- 20-25 वर्ष की आयु की युवतियों शोहदों से ज्यादा परेशान
- 49 फीसद वाट्सएप के जरिए महिलाओं करते परेशान