लखनऊ पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत, अवध प्रांत में कोराना काल में किये गए कार्यों की करेंगे समीक्षा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अवध प्रांत के वरिष्ठ सदस्यों की बैठक करेंगे।
लखनऊ, जेएनएन। सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अवध प्रांत के वरिष्ठ सदस्यों की बैठक करेंगे। इस बैठक में वे संघ अवध प्रांत में कोविड के दौरान हुए लॉकडाउन और उसके बाद कोविड काल में किए गए कार्यों और सामाजिक परिस्थितियों पर चर्चा की जाएगी। संघ के सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में कुछ खास लोग ही प्रवेश कर सकेंगे। संघ प्रमुख कानपुर में ऐसी ही बैठक कर कर शनिवार को दोपहर बाद राजधानी पहुंच गए। यहां बिजनौर रोड स्थित संघ से जुड़े एक परिसर में वे रुके हैं। वहीं ये बैठक भी होगी। सूत्र ने बताया कि बैठक में चर्चा में मुख्य विषय कोरोना के चलते बदले हुए परिदृश्य को जमीनी रूप से समझना होगा। संघ प्रमुख बहुत संभव है कि मंगलवार को भी राजधानी में मौजूद रहें।
21वीं सदी के विश्व का निर्धारण भारत करेगा : यतींद्र कुमार शर्मा
सरस्वती कुंज के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में शनिवार को नई शिक्षा नीति 2020 पर वेबिनार में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के सह संगठन मंत्री यतीन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि 21 वीं सदी में दुनिया कैसी होगी इसका निर्धारण भारत ही करेगा।इससे पहले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति में स्कूल कांप्लेक्स जैसी व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे स्कूल कांप्लेक्स के माध्यम से अपना विकास कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में सभी ग्रुपों के लिए भी अलग.अलग व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि इसमें मल्टी डिसीप्लिनरी अप्रोचए रिसर्च और टीचिंग जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीति सचान ने कहा कि विद्यालयों में भारतीय संस्कार का वातावरण होना चाहिए। कुछ नियम कानून भी होना चाहिए जिससे बच्चे अनुशासन सीख सकें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में मनोवैज्ञानिकों का बड़ा रोल हैए ताकि तय समय पर बच्चों की काउंसलिंग भी हो सके। यतीन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि 11 सितंबर से हम इस विषय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदए अखिल भारतीय शिक्षण मंडल, संस्कृत भारती जैसे संगठन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रतियोगिता नहीं हैए यह एक जन जागरण अभियान है। भारत ने ज्ञान के आधार पर ही विश्व का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि भारत संपूर्ण विश्व में ज्ञान का केंद्र था। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा थाए लेकिन बाद में हम कमजोर होते गए।