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Padma Awards 2020 : लावारिस शवों के वारिस मुहम्मद शरीफ को मिला पद्मश्री सम्‍मान

मुहम्मद शरीफ को मिले पद्मश्री सम्मान से गौरवान्वित है अयोध्या। 27 वर्ष से अनूठे पथ पर चल रहे शरीफ चचा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 08:44 AM (IST)
Padma Awards 2020 : लावारिस शवों के वारिस मुहम्मद शरीफ को मिला पद्मश्री सम्‍मान
Padma Awards 2020 : लावारिस शवों के वारिस मुहम्मद शरीफ को मिला पद्मश्री सम्‍मान

अयोध्या, जेएनएन। अपनों की मौत किसी की भी हिम्मत को तोड़ सकती है, लेकिन अयोध्यावासी शरीफ चचा के जवान बेटे की मौत और फिर लावारिस की तरह अंतिम संस्कार होना, उनकी संवेदनाओं को अंदर तक झकझोर गया। अपने इस गम के साथ वे मानवता की सेवा के ऐसे पथ पर चल पड़े, जो न सिर्फ नजीर बनी बल्कि औरों के लिए प्रेरणा भी और खुद उनके लिए ताउम्र निभाने वाली शपथ। 

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अब शरीफ चचा की इसी शपथ के बूते अयोध्या ही नहीं, बल्कि पूरा अवध गौरवान्वित है। 27 वर्ष से अनूठे पथ पर चल रहे शरीफ चचा को अब गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। आप भी उनकी प्रतिज्ञा के बारे में जान लीजिए, जो औरों के लिए प्रेरणा और नजीर बनी पर उनके लिए जुनून, जिसका मुरीद होने वालों में फिल्मी दुनिया के तमाम सुपर स्टार और नामी-गिरामी हस्तियां हैं। 

बात 1993 की है। उनके पुत्र मुहम्मद रईस दवा लेने के लिए सुलतानपुर गए थे, जहां एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। बेटे की खोज में शरीफ कई दिनों तक इधर-उधर भटकते रहे। रिश्तेदार, मित्रों और तमाम जगहों पर खोजने के बाद भी शरीफ को अपने बेटे का कोई सुराग नहीं मिला। करीब एक माह बाद सुलतानपुर से खबर आई कि बेटे की मौत हो गई और अंतिम संस्कार लावारिसों की तरह हुआ। रईस की पहचान उनकी शर्ट पर लगे टेलर के टैग से हुई थी। टैग से पुलिस ने टेलर की खोज की और कपड़े से शरीफ ने मृतक की पहचान अपने बेटे के रूप में की। जवान बेटे की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। जब परिवार रईस की मौत के गम में डूबा था तो ऐसे में शरीफ के मन में नया संकल्प जन्म ले रहा था।

संकल्प यह कि अब अयोध्या की धरती पर किसी भी शव का अंतिम संस्कार लावारिस की तरह नहीं होगा। न हिंदू, न मुस्लिम, न सिख और न ही ईसाई। शरीफ ने शपथ ली कि वे हर लावारिस शव का अंतिम संस्कार करेंगे और मृतक के धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार। 27 वर्षों में करीब 25 हजार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके पेशे से साइकिल मिस्त्री शरीफ चचा 80 वर्ष की उम्र में भी अपनी प्रतिज्ञा को उसी हौसले और जुनून से निभाते चले आ रहे हैं।


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