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लखनऊ में थानेदार की कुर्सी पर जा बैठे विधायक, इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर

बीकेटी से भाजपा विधायक रविवार को एक कार्यकर्ता को थाने से छुड़ाने पहुंचे थे। इस दौरान वह इंस्पेक्टर के कार्यालय में पहुंचे और सीधे उनकी कुर्सी पर जा बैठे। नियम के मुताबिक इंस्पेक्टर की कुर्सी पर केवल उसके वरिष्ठ अधिकारी ही बैठ सकते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 08:20 AM (IST)
लखनऊ में थानेदार की कुर्सी पर जा बैठे विधायक, इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर
बीकेटी से भाजपा विधायक रविवार को एक कार्यकर्ता को थाने से छुड़ाने पहुंचे थे।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ इंदिरानगर थाने में प्रभारी की कुर्सी पर बैठे यह जनप्रतिनिधि हैं बीकेटी के विधायक अविनाश त्रिवेदी। यह तस्वीर उस समय की है जब विधायकजी कथित रूप से खनन के आरोपित एक युवक की सिफारिश लेकर थाने पहुंचे थे। नियम के तहत किसी भी विभाग के प्रभारी की कुर्सी पर कोई जनप्रतिनिधि नहीं बैठ सकता, लेकिन विधायक महोदय प्रभारी निरीक्षक इंदिरानगर की कुर्सी पर बैठक निर्देश देने लगे। तस्वीर में विधायक के सामने अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक व अन्य पुलिसकर्मी बैठे दिख रहे हैं।

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इंस्पेक्टर इंदिरानगर अजय प्रकाश त्रिपाठी के मुताबिक वह अवकाश पर हैं। उनकी अनुपस्थिति में ऐसा हुआ है। एक वरिष्ठ आइपीएस के मुताबिक नियम के मुताबिक इंस्पेक्टर की कुर्सी पर केवल उसके वरिष्ठ अधिकारी ही बैठ सकते हैं। विधायक ने न केवल नियम तोड़ा है, बल्कि प्रोटोकाल का भी उल्लंघन किया है। प्रोटोकाल के हिसाब से निर्वाचित जनप्रतिनिधि के आने पर विभागाध्यक्ष खड़े होकर उसका स्वागत करेगा और उसे बैठने को अपने समकक्ष आसन देगा, लेकिन अपनी कुर्सी नहीं।

नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरफ्तार : महानगर पुलिस ने नौकरी के नाम पर 60 युवकों से पौने दो करोड़ रुपये हड़पने के मास्टर माइंड अभिषेक दुबे को गिरफ्तार किया है। आरोपित ने एफसीआइ में नौकरी दिलवाने का झांसा दिया था। इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप कुमार सिंह के मुताबिक इंदिरानगर निवासी मनीष राय ने एक माह पहले आलोक श्रीवास्तव व उसके अन्य साथियों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी। इसके बाद सुलतानपुर निवासी अभिषेक दुबे को गिरफ्तार किया गया। आरोपित ने मनीष से कहा कि सभी लोग एफसीआइ में बड़े पदों पर कार्यरत हैं। झांसे में लेकर नौकरी दिलाने की बात कही। इसपर मनीष ने अपने भांजे समेत तीन अन्य की नौकरी लगवाने के लिए कहा। इसपर आरोपित उन्हें दिल्ली में बाराखंभा स्थित कार्यालय में बुलाया, जहां रुपये की मांग की गई। मनीष ने अपने 60 रिश्तेदारों से नौकरी के नाम पर एक करोड़ 75 लाख रुपये ठगों को दिलवा दिए। इसके बाद जालसाजों ने सभी को अलग अलग स्थानों पर प्रशिक्षण के लिए भेज दिया। छह माह के प्रशिक्षण के बाद भी जब पीडि़तों को नियुक्ति पत्र नहीं मिला तो उन्हें ठगी का एहसास हुआ, जिसके बाद एफआइआर दर्ज कराई गई। पुलिस गिरोह के अन्य जालसाजों की तलाश कर रही है।


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