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Mission 2022 Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश मिशन 2022: बसपा ने लगाया नये जातीय समीकरण पर दांव

Mission 2022 Uttar Pradesh बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर बेहद गंभीर है। इसी को लेकर उन्होंने प्रदेश संगठन का कायाकल्प भी शुरू कर दिया है। अब बसपा मिशन 2022 पर नए जातीय समीकरण पर दांव लगाने की तैयारी में है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 03:40 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 05:58 AM (IST)
Mission 2022 Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश मिशन 2022: बसपा ने लगाया नये जातीय समीकरण पर दांव
बसपा सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा उप चुनाव में मिली हार की दिल्ली में समीक्षा कर ली

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के विधानसभा उप चुनाव में सभी सात प्रत्याशियों की पराजय के बाद बहुजन समाज पार्टी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बदले समीकरण के साथ उतरेगी। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ ही कोआर्डिनेटर्स के साथ भी अलग टीम लगा दी है।

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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर बेहद गंभीर है। इसी को लेकर उन्होंने प्रदेश संगठन का कायाकल्प भी शुरू कर दिया है। अब बसपा मिशन 2022 पर नए जातीय समीकरण पर दांव लगाने की तैयारी में है। बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा उप चुनाव में मिली हार और मिशन 2022 को देखते हुए संगठन को नए सिरे से दुरुस्त करने में जुट गई हैं। इस क्रम में उन्होंने पार्टी में दलितों के साथ पिछड़ों को जोडऩे की दिशा में काम शुरू कर दिया है। उन्होंने राजभर समाज के भीम राजभर को बसपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपकर यह साफ संकेत दे दिया है। उनके इस कदम से माना जा रहा है वह अब प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी जातीय समीकरण के आधार पर मैदान में उतरेंगी।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने इससे पहले एनआरसी और अनुच्छेद 370 के मामले में भारतीय जनता पार्टी की जोरदार खिलाफत की और मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके साथ समशुद्दीन राइन और कुंवर दानिश अली को आगे बढ़ाया। मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर यह संदेश दिया गया कि बसपा ही मुस्लिम समाज की हितैषी है। इस दौरान दानिश अली को लोकसभा में नेता घोषित किया गया। विधानसभा की सात सीटों पर उप चुनाव में दो सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा गया। इनके बाद भी मुस्लिम समाज अपेक्षाकृत रूप से बसपा के साथ नहीं जुड़ा।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली में विधानसभा उप चुनाव में मिली हार की समीक्षा कर ली है। इस समीक्षा के बाद ही बसपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछड़े वर्ग के नेता भीम राजभर को बैठाया गया है। इसके पहले बसपा में पिछड़े वर्ग के रामअचल राजभर और आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। बसपा ने 2007 विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चुनाव लड़ा था। दलित, पिछड़े के साथ सवर्णों के सहारे वह सत्ता में आई, लेकिन वर्ष 2012 में इस फॉर्मूले को त्याग दिया। इसका खामियाजा भुगता और पार्टी उत्तर प्रदेश में तीसरे नम्बर पर खिसक गई। मायावती ने अब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर अति पिछड़ी जाति के भीम राजभर को बैठकर यह संकेत दिया है कि मिशन 2022 में वह पिछड़ों व सवर्णों को साथ लेकर आगे बढ़ेंगी। 


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