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कानपुर में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होगा मेट्रो का काम Lucknow News

एचबीटीयू की जमीन अभी तक नहीं मिली प्रशासन में फाइल लटकी। तीन दिन में पाइलिंग मशीने भी जाएंगी पहुंच क्रेन मशीन पहुंची।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 09:00 PM (IST)
कानपुर में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होगा मेट्रो का काम Lucknow News
कानपुर में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होगा मेट्रो का काम Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। कास्टिंग यार्ड के लिए अभी तक प्रशासन द्वारा हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय की छह एकड़ जमीन कानपुर मेट्रो को नहीं दिलवा पाया है। ऐसे में कास्टिंग का काम प्रभावित होना तय है। वहीं दूसरी ओर कानपुर मेट्रो के स्टेशनों का काम अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू करने की तैयारी है। क्रेन मशीनें पहुंच गई हैं और पाइलिंग मशीने आगामी दो से तीन दिन में पहुंची शुरू हो जाएगी। उत्तर प्रदेश मेट्रो रल कारपोरेशन एक साथ तीन से चार स्टेशनों पर चरणबद्ध तरीके से काम शुरू करवाना चाहता है। उद्देश्य है कि दिसंबर 2021 सिविल से जुड़ा निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाए।

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मेट्रो का उद्देश्य था कि एचबीटीयू की जमीन मिलते ही कास्टिंग को लेकर प्रकिया तेज कर दी जाती। क्योंकि आधा दर्जन पाइलिंग का काम एक साथ शुरू करने की योजना है, उद्देश्य है कि दिसंबर 2020 तक नौ किमी. तक एलीवेटेड के पाइल, पाइल कैप व पियर कैप खड़े कर ले। फिर कास्टिंग यार्ड में बने गर्डर, यू गर्डर व आई गर्डर रखे जा सके। 

क्या है पाइल ?

लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन की भाषा में पाइल का मतलब जमीन के भीतर यानी नींव को बोलते हैं जो सतह से जमीन के भीतर कई मीटर जाती है। यह सीधा खंभा होता है जो जमीन के भीतर होता है। मेट्रो सभी पियर के नीचे चार पाइल बनाएगा। प्रत्येक पाइल का व्यास 1.2 मीटर होगा। दो-दो पाइल के बीच की दूरी करीब 3.6 मीटर होगी। पहले पाइल जमीन के भीतर 24 मीटर जाएगा। 

पाइल कैप क्या है?

चारों पाइल बनने के बाद कार्यदायी संस्था चारों पाइल के ऊपर पाइल कैप बनाएंगे। यह पाइल कैप करीब 1.5 मीटर गहरा होगा और 5.6 मीटर लंबा व चौड़ा होगा। कुल मिलाकर चौकोर होगा। 

क्या है पियर ?

पहले पाइल फिर चारों को मिलाकर पाइल कैप और फिर पाइल कैप के ऊपर करीब दस मीटर ऊंचा पियर बनेगा। जिसे सीधा खंभा कह सकते है। इस पियर का व्यास करीब 1.7 मीटर होगा। उसके ऊपर गर्डर रखा जाएगा फिर ट्रैक बिछेगा और उसके ऊपर मेट्रो चलेगी। मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक पियर की ऊंचाई नक्शे के हिसाब घटती-बढ़ती रहेगी। इसी तरह पाइल की गहराई भी घटती बढ़ती रहेगी। 


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