डीएनए जांच से खुला दुष्कर्मी डॉक्टर का राज, मानसिक बीमारी से पीड़ित युवती को बनाया शिकार
शक के आधार पर कराया डीएनए टेस्ट तब खुला राज। मानसिक मंदित युवती से दुष्कर्म का मामला, ऐसे केस में पहली बार प्रयोग।
लखनऊ, जेएनएन। ऑटिज्म से पीडि़त मानसिक मंदित 24 वर्षीय युवती का ट्रेनर (डॉक्टर) उसकी बीमारी का फायदा उठाकर दुष्कर्म करता रहा। रूटीन चेकप में जब युवती के 19 सप्ताह के गर्भवती होने का पता चला तो घरवालों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने मडिय़ांव थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
ब्लाइंड केस को मडिय़ांव पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट आते ही सुलझा लिया है। मडिय़ांव थाना क्षेत्र स्थित जिस 'समर्पण डे-केयर फाउंडेशन' में युवती इलाज के लिए जाती थी वहीं के डॉक्टर खुशाल सिंह ने दुष्कर्म किया था। छानबीन के दौरान मडिय़ांव पुलिस ने शक के आधार पर इस तरह के केस में पहली बार आरोपित डॉक्टर के डीएनए से पीडि़ता के भ्रूण के डीएनए का मिलान कराने के लिए उसे महानगर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था, जो रिपोर्ट में मैच हो गया। आरोपित डॉक्टर भ्रूण का बायोलॉजिकल पिता पाया गया।
पत्रकार वार्ता में एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि एफएसएल की रिपोर्ट के बाद आरोपित डॉक्टर को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। पकड़ा गया डॉक्टर समर्पण डे-केयर फाउंडेशन का प्रिंसिपल डॉ. खुशाल सिंह मूलरूप से नैनीताल के रिहाड़ तल्ला गांव का रहने वाला है। यहां अलीगंज स्थित एसबीआइ कॉलोनी में रहता है।
परिवारीजनों के मुताबिक युवती का पिछले छह साल से देहरादून के एक संस्थान में इलाज चल रहा है, वहीं रहती भी है। वह छुट्टियों में पिछले वर्ष छह जुलाई 2018 को लखनऊ के मडिय़ांव थाना क्षेत्र स्थित घर आई थी। वहीं, छुट्टी के दौरान घर के पास स्थित एक संस्था में ट्रेनिंग के लिए जाने लगी। 28 जुलाई को छुट्टी खत्म होते ही देहरादून वापस लौट गई। जहां रूटीन चेकअप के दौरान युवती के गर्भवती होने की बात सामने आई। यह खबर मिलते ही पिता उसे देहरादून से लखनऊ वापस लेकर आए।
सीओ अलीगंज दीपक सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष 26 नवंबर को पीडि़ता के पिता ने मडिय़ांव थाने में तहरीर दी। पुलिस ने एफआइआर दर्ज करके पीडि़ता का दोबारा मेडिकल चेकअप कराया तो यहां भी गर्भवती होने की पुष्टि हुई। छानबीन में पुलिस ने शक के आधार आरोपित डॉक्टर समेत संस्था के तीन लोगों से पूछताछ की। आरोपित डॉक्टर खुशाल सिंह शुरू से ही पुलिस के शक के दायरे में था। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया।
युवती के मानसिक मंदित होने का उठाया फायदा
इंस्पेक्टर मडिय़ांव संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पीडि़त युवती ऑटिज्म (मानसिक बीमारी) से पीडि़त है। जिसके चलते पीडि़ता पिता को 'पा' और 'मां' को मां ही बोल पाती थी। जिसके चलते पुलिस को आरोपित की तलाश करने में काफी दिक्कतों के साथ ढाई महीने से अधिक समय तक लंबी तफ्तीश करनी पड़ी। आरोपित ने पीडि़ता की बीमारी का पूरा फायदा उठाया। कड़ी से कड़ी मिलते हुए पुलिस ने भी उसे खोज ही निकाला। लखनऊ की उस संस्था में शक होने पर प्रिंसिपल समेत तीन लोगों से पूछताछ की, जहां पीडि़ता छुट्टी के दौरान ट्रेनिंग ले रही थी। छह जुलाई से 28 जुलाई तक पीडि़ता रोजाना सुबह दस से शाम चार बजे तक संस्था में जाती थी। लंबा समय बीत जाने के कारण सीसी फुटेज भी नहीं मिली। लेकिन डीएनए जांच रिपोर्ट ने डॉक्टर की पोल खोल दी।
ऑटिज्म रोग से ग्रसित लोग अच्छे इलाज से हो सकते हैं ठीक
केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आदर्श त्रिपाठी बताते हैं कि ऑटिज्म रोग से ग्रसित लोगों की बीमारी को अच्छे इलाज व ट्रेनिंग से काफी हद तक काबू किया जा सकता है। यही नहीं 10-20 फीसद लोग काफी हद तक ठीक भी हो सकते हैं। दरअसल ऑटिज्म ऐसा रोग है, जिसमें बच्चे सामान्य बच्चों से अलग अपनी दुनिया में खोए रहते हैं। वह न तो मां-बाप या किसी परिवारीजन के साथ भावनात्मक रिश्ता ही कायम करते हैं और न ही संवाद करते हैं। हालांकि एक हजार बच्चों में एक बच्चा ही ऐसा होता है, लेकिन दिनोंदिन ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि रोग की अब पहचान जल्द होने लगी है। रिकवरी इन ऑटिज्म पर प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार ऑटिज्म अब लाइलाज नहीं रहा।
इस टीम को एसएसपी करेंगे सम्मानित
ब्लाइंड केस वर्कआउट करने वाली टीम में शामिल इंस्पेक्टर मडिय़ांव संतोष कुमार सिंह, दारोगा मो.अहमद, संजय मिश्र, सिपाही अरविंद सिरोही व मनोज कुमार को एसएसपी ने सम्मानित करने की बात कही है।