आवासीय कॉलोनी में चल रही थी गैर कानूनी ढंग से संस्था, फिर भी नहीं हुई सीज
मानसिक मंदित युवती से दुष्कर्म का मामला। मड़ियांव में गिरफ्तारी, लेकिन मनीषा मंदिर प्रकरण में कर दिया था खेल।
लखनऊ, जेएनएन। ‘समर्पण डे-केयर फाउंडेशन’ के प्रिंसिपल डॉ. खुशाल सिंह द्वारा संस्था की मानसिक मंदित युवती से दुष्कर्म के बाद पुलिस ने अब वहां के कर्मचारियों की भूमिका की छानबीन भी तेज कर दी है। सीओ अलीगंज दीपक सिंह ने बताया कि आरोपित डॉक्टर को जेल भेजने के साथ उसका पूर्व का इतिहास भी खंगाला जा रहा है।
आरोपित पिछले दस साल से आवासीय कॉलोनी में किराए के मकानों में गैर कानूनी संस्था चला रहा था। संस्था सीज करने के लिए पुलिस की ओर से डीएम को रिपोर्ट भेजी गई है। आरोपित की गिरफ्तारी के बाद मकान से समर्पण डे-केयर फाउंडेशन नाम से लगा बोर्ड तो हटा लिया गया, लेकिन संस्था में कर्मचारियों और बच्चों का आवागमन लगा रहा। कॉलोनी के लोगों ने बताया कि खुशाल सिंह की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध थीं। दो साल से एसबीआइ कॉलोनी में किराए का मकान लेकर संस्था चला रहा था। इसके पूर्व आठ साल अन्य मकानों में किराए से संस्था चलाई। संस्था के अन्य बच्चों का आरोपित ने यौन शोषण तो नहीं किया इस दिशा में भी विवेचना चल रही है।
संस्था की दमकल से एनओसी तक नहीं थी। संस्था के रजिस्ट्रेशन की पड़ताल की जा रही है। संस्था के प्रिंसिपल खुशाल सिंह ने ऑटिज्म से पीड़ित युवती से दुष्कर्म किया और वह गर्भवती हो गई। देहरादून स्थित एक संस्थान में उसका इलाज चल रहा है। वह छुट्टियों में मड़ियांव स्थित अपने घर आई थी और मड़ियांव स्थित एक संस्थान में इलाज के लिए जाती थी। यहीं डॉक्टर ने उसे हवस का शिकार बनाया। रुटीन चेकअप में बेटी के गर्भवती होने की खबर मिलते ही पिता के होश उड़ गए। पुलिस के मुताबिक, संस्था के प्रिंसिपल डॉक्टर खुशाल सिंह का डीएनए भ्रूण से मैच हो गया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
मड़ियांव में गिरफ्तारी, लेकिन मनीषा मंदिर प्रकरण में कर दिया था खेल
मड़ियांव पुलिस ने समर्पण-डे-केयर फाउंडेशन के दुष्कर्म के आरोपित डॉक्टर खुशाल सिंह को गिरफ्तार करके ब्लाइंड केस को भी सुलझा लिया, पिछले वर्ष सितंबर महीने में मनीषा मंदिर प्रकरण में संचालिका सरोजनी अग्रवाल की करतूत उजागर होने के बावजूद गोमतीनगर पुलिस ने घुटने टेक दिए थे। विवेचक ने प्रताड़ना का शिकार बच्चियों के बयान दर्ज किये, जिसमें उन्होंने साफतौर से अपने साथ हुई मारपीट को भी बताया था, चार्जशीट में मारपीट की धाराओं को जिक्र तक नहीं किया गया।
हल्की धाराओं में चार्जशीट फाइल करने से आरोपित संचालिका पर अभी तक शिकंजा नहीं कस सका। उधर, एक सर्वे में सामने आया है कि शहरभर में आवासीय एरिया में ऐसी कई संस्थाएं गैर कानूनी ढंग से चल रही हैं, लेकिन शासन-प्रशासन के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे, वह कोई घटना होने का इंतजार कर रहे हैं।