लखनऊ में दिखी संवेदनहीनता, पहले पुलिस और फिर आश्रयगृहों ने भी मानसिक मंदित महिला को दुत्कारा
लखनऊ में मानसिक मंदित महिला को छह घंटे लेकर घूमतीं रहीं महिला पुलिसकर्मी। आश्रयगृह और अस्पताल में नहीं मिला ठिकाना। 112 हेल्प लाइन के सिपाहियों ने की अभद्रता। थक-हारकर थाने की महिला हेल्प डेस्क पर ठहराया खिलाया खाना।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। शहर में बने सरकारी सहायता प्राप्त और निजी आश्रयगृह सिर्फ दिखावे के लिए बने हैं। इसका राजफाश रविवार को हुआ, जब आलमबाग थाने की महिला सिपाही मनीषा और नीलम एक 35 वर्षीय मानसिक मंदित महिला को आश्रय दिलाने के लिए आशा ज्योति केंद्र, लोकबंधु अस्पताल से लेकर संस्थाओं के आश्रयगृह के छह घंटे तक चक्कर लगाती रहीं। वहीं 112 हेल्प लाइन के सिपाहियों ने तो महिला की सूचना देने वाले से ही अभद्रता की।
दोपहर करीब 11 बजे महिला पुरानी जेल रोड स्थित होमगार्ड मुख्यालय के बाहर बदहवास हालत में पड़ी थी। इसकी सूचना वहां के एक नागरिक ने 112 हेल्प लाइन पर दी, जिस दो सिपाही मौके पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने महिला की मदद करना तो दूर उलटे सूचना देने वाले पर ही बरस पड़े। काफी हंगामे के बाद आलमबाग थाने से महिला सिपाही मनीषा और नीलम पहुंची। उन्होंने बताया कि महिला से पूछताछ का प्रयास किया पर वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। दोनों उसे लोकबंधु अस्पताल लेकर पहुंची। डाक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। आशा ज्योति केंद्र ले गईं, वहां भी नहीं रखा। अधीक्षिका अर्चना सिंह को फोन किया तो मोबाइल स्विच आफ था।
वहां से मोतीनगर स्थित अपना घर आश्रयगृह का नंबर मिला, लेकिन उन्होंने भी अपने यहां रखने से मना कर दिया। इसके बाद महिला सिपाहियों को तेलीबाग स्थित दया सदन के बारे में जानकारी हुई। दोनों महिला को लेकर बताए गए पते पहुंची तो वहां दया सदन नहीं मिला। फिर फोन करती रही तो रिसीव नहीं किया गया। थक-हारकर थाने पहुंची। वहां उसे खाना खिलाया और पानी पिलाया। इसके बाद महिला हेल्प डेस्क की देखरेख में रखा। पीडि़ता अपना नाम और पता नहीं बता पा रही है।
112 पर सूचना दी तो मिली धमकी : महिला के सड़क पर बदहवास हालत में पड़े होने की सूचना देना बंगला बाजार के रहने वाले आनंद मिश्रा को भारी पड़ गया। आनंद के मुताबिक सूचना पर 112 से सिपाही बालकृष्ण और साहबलाल पहुंचे। दोनों ने सूचना देने पर उन्हें धमकी दी और मारपीट करने पर अमादा हो गए थे।