ग्रेटर नोएडा में बिजली कनेक्शन देने में गड़बड़ी पर हटाए गए निदेशक, एमडी को सौंपा गया दायित्व
ग्रेटर नोएडा में बिजली कनेक्शन देने में गड़बड़ी के दोषी पाए गए मेरठ डिस्काम के निदेशक राकेश कुमार राना को पद से हटा दिया गया है। राज्य सरकार ने राना को मेरठ डिस्काम के एमडी कार्यालय से संबद्ध करते हुए निदेशक पद का दायित्व एमडी को सौंपा है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। ग्रेटर नोएडा में बिल्डर को फायदा पहुंचाते हुए बिजली कनेक्शन देने में गड़बड़ी के दोषी पाए गए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (मेरठ डिस्काम) के निदेशक (तकनीकी) राकेश कुमार राना को पद से हटा दिया गया है। राज्य सरकार ने राना को मेरठ डिस्काम के प्रबंध निदेशक (एमडी) कार्यालय से संबद्ध करते हुए निदेशक (तकनीकी) पद का दायित्व एमडी को सौंपा है। कनेक्शन देने में अनियमितताओं के अन्य दोषियों के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई होगी। इस संबंध में पावर कारपोरेशन प्रबंधन को दोषियों के आरोपपत्रों के जवाब की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद सभी दोषियों को निलंबित और बर्खास्त करने की तैयारी है।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को दरकिनार कर अभियंताओं ने पावर कारपोरेशन को लगभग 8.36 करोड़ रुपये की चपत लगाई है। जांच में तत्कालीन अधीक्षण अभियंता राना के अलावा वितरण खंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता लाल सिंह राकेश व प्रभात कुमार सिंह, पारेषण के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार, एसडीओ अजय कुमार व अवर अभियंता अरविंद कुमार दोषी पाए गए हैं। कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति को सभी के आरोपपत्रों पर जवाब का परीक्षण कर प्रबंधन को रिपोर्ट सौंपनी है। इस बीच जांच प्रभावित न हो इसके लिए कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने सेवानिवृत के बाद निदेशक बने राना को हटाने के लिए शासन को पत्र लिखा था।
अपर मुख्य सचिव ऊर्जा आलोक सिन्हा ने बताया कि राकेश कुमार को निदेशक (तकनीकी) के पद से हटाकर मेरठ डिस्काम के एमडी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि निदेशक (तकनीकी) पद का दायित्व संबंधित प्रबंध निदेशक को सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक शासन ने कारपोरेशन प्रबंधन से प्रकरण की पूरी जांच रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद शासन स्तर से निदेशक को बर्खास्त किया जा सकता है। कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा अन्य अभियंताओं के खिलाफ निलंबन व बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि राना, अस्थाई कनेक्शन देने सहित कुछ और मामलों की चल रही जांच में भी दोषी पाए गए हैं।
कनेक्शन देने में इस तरह की गई गड़बड़ी : कारपोरेशन प्रबंधन को एक गोपनीय शिकायत मिली थी कि ग्रेटर नोएडा के मै. गौरसंस रियलटैक प्रा. लि. के गौर सौंदर्यम आवासीय योजना को बिजली कनेक्शन देने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। प्रबंधन द्वारा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के माध्यम से कराई गई जांच में शिकायत सही पाई गई। जांच में पाया गया था कि नियमों की अनदेखी कर आवासीय योजना को 220 केवी के ट्रांसमिशन (पारेषण) सब स्टेशन के बजाय सीधे 33/11 केवी उपकेंद्र इटैहरा से कनेक्शन दे दिया गया। इस तरह योजना को कनेक्शन देने में गलत रिपोर्ट दी गई। 33 केवी स्वतंत्र फीडर के लिए बिल्डर से शुल्क नहीं लिया गया। बिल्डर को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए कनेक्शन के लोड की भी सही से गणना नहीं की गई। लोड में हेरा-फेरी कर 5200 केवीए का कनेक्शन बिना मुख्य अभियंता पारेषण की मंजूरी के दिया गया, जबकि लोड 5855 केवीए होना चाहिए था। केबिल की लागत भी कम दिखाकर बिल्डर से कम सुपरविजन शुल्क ही लिया गया। इस तरह की अनियमितताओं से 8.36 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि कारपोरेशन को पहुंचाई गई।