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औषधीय पौधा चाहिए तो बस एक गमला लेकर यहां आ जाइए

पर्यावरण संरक्षण के साथ समाज को स्वस्थ रखने की दिशा में श्रीदुर्गाजी धर्म जागरण सेवा समिति की एक पहल। बांट रहे औषधीय पौधे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:40 AM (IST)
औषधीय पौधा चाहिए तो बस एक गमला लेकर यहां आ जाइए
औषधीय पौधा चाहिए तो बस एक गमला लेकर यहां आ जाइए

लखनऊ, (नीरज मिश्र)। एक छत पर करीब चार सौ से अधिक औषधीय पौधे, बस गमला लाइए और ले जाइए अपनी आवश्यकता का पौधा। श्रीदुर्गाजी धर्मजागरण सेवा समिति के चल रहे तमाम प्रकल्पों में औषधीय पौधों की एक बड़ी जमात शामिल है। इनमें विभिन्न रोगों में मददगार अकेले दस तरह की तुलसी ही है। सबके अलग-अलग गुण हैं। परिसर में बाकायदा 'पौध भंडार' बना लोगों को निश्शुल्क पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं।

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औषधीय पौधों की अलग-अलग किस्में

शास्त्रीनगर स्थित श्री दुर्गाजी धर्म जागरण सेवा समिति के परिसर में बड़ी संख्या में जनोपयोगी पौधों की भरमार है। राजेंद्र गोयल के मुताबिक इनमें प्रमुख रूप से गुर्च, एलोवेरा, मीठी नीम, कलमनाथ, शंखभस्मी, अश्वगंधा, गिलोय, जराकुश, गुड़हल, पीपरी, हरिता, कैक्टस के अलावा अलग-अलग रोगों से लडऩे वाली तुलसी की रामा, कृष्णा, विष्णु, अमृत, मीठी, नींबू, इटालियन, वन, थाई और परपल आदि किस्में परिसर में हैं।

छह साल से लगातार चल रही मुहिम

संस्थापक सदस्य ताराचंद्र अग्रवाल बताते हैं कि जगतगुरु स्वामी वासुदेवानंद महाराज ने वर्ष 2013 में छत पर मौजूद इस छोटे से बगीचे में तुलसी की पौध रोपी थी। आज इसकी संख्या सैकड़ों तक पहुंच गई है। तमाम वैरायटी हैं। सिर्फ यही नहीं अनार और विभिन्न पुष्पों के भी पौधे मौजूद हैं।

छत पर इसलिए बनाया बगीचा

हकीकत में चार मंजिल पर बगीचा बनाने का काम आसान नहीं था। मिट्टी और पौधे छत तक ले जाना ही एक बड़ा काम था, लेकिन सभी के सहयोग से काम आसान हो गया। इसके पीछे मंशा यह थी कि इससे आस-पास का न केवल वातावरण शुद्ध होगा बल्कि बरसात आदि में पौधों को सींचने में आसानी होगी। यही नहीं सामूहिक विवाह समेत करीब-करीब हर दूसरे माह होने वाले प्रवचन और कथाओं के लिए जुटने वाली भीड़ से इन पौधों को नुकसान से बचाने की भी मंशा है। बस इसी सोच के तहत छत पर बगीचा बनाया गया। ऊपर तक जाने के लिए अब तो लिफ्ट भी है।


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