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ऑपरेशन कर लड़के को बना दिया लड़की

जागरण संवाददाता, लखनऊ : केजीएमयू के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर 'जेंडर चेंज' करने में सफलता हासिल की है

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 May 2018 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 07:00 AM (IST)
ऑपरेशन कर लड़के को बना दिया लड़की
ऑपरेशन कर लड़के को बना दिया लड़की

जागरण संवाददाता, लखनऊ :

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केजीएमयू के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर 'जेंडर चेंज' करने में सफलता हासिल की है। यहां सेक्स रीअसाइंमेंट सर्जरी से 22 वर्षीय युवक को लड़की बना दिया गया। वहीं शरीर में हुए मनमाफिक बदलाव से मरीज काफी उत्साहित है।

कुशीनगर निवासी 22 वर्षीय युवक अपना सेक्स बदलवाने के लिए काफी परेशान था। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से उसे डेढ़ वर्ष पूर्व केजीएमयू भेजा गया। यहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके सिंह की ओपीडी में युवक ने दिखाया। डॉक्टर ने उसे मूल रूप में ही रहने की सलाह दी, मगर वह नहीं माना। ऐसे में उसकी काउंसलिंग कराई गई। मगर वह सर्जरी के जरिए लड़की बनने के लिए अडिग रहा। इसके बाद आठ मई को युवक को भर्ती कर 13 दिन पहले ऑपरेशन किया गया। डॉ. एके सिंह ने बताया कि सेक्स रीअसाइंमेंट सर्जरी के जरिए आठ घंटे में युवक में फीमेल आर्गन बनाने में सफलता हासिल हुई। ऐसे में 1962 में स्थापित विभाग में यह ऑपरेशन पहली बार हुआ।

-सर्जरी से पहले यह हुई जांचें

युवक की पहले काउंसलिंग हुई। इसके बाद मनोवैज्ञानिक से क्लीयरेंस लिया गया। जीनोटाइप मार्का जांच कर जींस, मेल और फीमेल हार्मोन का स्तर जांचा गया। इसके बाद रक्त संबंधी जांच के अलावा अल्ट्रासाउंड के जरिए मेल ऑर्गन के विकास का परीक्षण किया गया।

-थेरेपी देकर बढ़ाए फीमेल हार्मोन

युवक की शुरुआती जांच के बाद आठ माह तक हार्मोन थेरेपी दी गई। इससे युवक में मौजूद पुरुषों वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन का औसत और कम हुआ। वहीं महिलाओं में पाए जाने वाला स्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर बढ़ाया गया।

-अंग बनाने में लगे आठ घंटे

डॉ. एके सिंह ने बताया कि ऑपरेशन करने में करीब आठ घंटे लगे। इसमें युवक के टेस्टिस (वृषण) निकाल दिए गए। वहीं मेल आर्गन की त्वचा से फीमेल ऑर्गन बना दिया गया। वहीं स्क्रोटम (अंडकोष की थैली ) की स्किन से फीमेल आर्गन में सेलेबिया माइनोरा और लेबिया मैजोरा का निर्माण किया गया। ऑपरेशन टीम में डॉ. बृजेश कुमार मिश्रा, डॉ. गुरु प्रसाद रेड्डी, डॉ. समीर, डॉ. जीपी सिंह व डॉ. तनमय मौजूद रहे।

-इंप्लांट से देंगे ब्रेस्ट को आकार

युवक के चेहरे के बाल कम करने के लिए जहां अभी फीमेल हार्मोन की दवा और दी जाएगी। वहीं लेजर से भी बाल हटाए जाएंगे। इसके अलावा स्तन आदि को आकार देने के लिए ब्रेस्ट इंप्लांटेशन किया जा सकता है।

युवक को था जेंडर डिस्फोरिया

सेक्स चेंज करने से पहले युवक का तीन तरह से आकलन किया गया। इसमें उसका जेनेटिक, फिजिकल व मेंटल स्तर देख गया है। युवक जेंडर डिस्फोरिया श्रेणी का मिला। जिसमें व्यक्ति शारीरिक रूप से तो पुरुष होता है, मगर उसमें आदतें लड़कियों वाली होती हैं। लड़कियों की तरह चाल-चलन से वह खुद को समाज में स्थापित करने में असहज महसूस करता था।

-12 वर्ष पहले संजोया ख्वाब, अब हुआ पूरा

प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में भर्ती युवक-लड़की बनने से काफी खुश है। उसने बताया कि छह वर्ष पहले उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। वहीं मामा भी नहीं रहे। सिर्फ एक बड़ी बहन है, उसकी शादी हो चुकी है। वह घर में अकेले रहता है। मगर शुरुआत से उसे महिलाओं के बीच बैठने की आदतें, उनके काम करने के तौर तरीके काफी पसंद थे। बारह वर्ष की उम्र में उसने लड़की बनने का ख्वाब संजोया, जोकि अब पूरा हुआ। उसने बताया कि वह घर में रखीं फीमेल ड्रेस छुप-छुप कर पहनता था। वहीं अब अपना शौक खुलकर पूरा कर सकेगा। 'मुन्नी' नाम से अब नई पहचान मिलेगी

युवक ने अपना पुराना नाम प्रकाशित करने से मना किया। मगर अब उसे नया नाम मुन्नी रास आ रहा है। उसने बताया कि डॉक्टर शीघ्र ही जेंडर चेंज का मेडिकल सर्टिफिकेट देंगे। इसमें मुन्नी नाम दर्ज करने का ही अनुरोध करूंगा।

-रोकने पर हो जाते हैं डिप्रेशन के शिकार

विशेषज्ञों के मुताबिक अभिभावक अपने बच्चों पर ध्यान दें तो छोटी उम्र में ही उनके ट्रासजेंडर होने का अंदाजा लगा सकते हैं। ऐसे में माता-पिता घबराएं नहीं बल्कि बच्चों की काउंसिलिंग पर फोकस करें। उनके साथ सामान्य बच्चों की तरह ही व्यवहार करें। कारण, यदि ऐसे बच्चों को डाट कर उन्हें अपने तरह से पेश आने पर मजबूर किया जाता है तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में वह घातक कदम भी उठा सकते हैं। गर्भ धारण संभव नहीं

विशेषज्ञों के मुताबिक सेक्स बदलकर मेल से फीमेल बनने पर गर्भ धारण नहीं हो सकता है। कारण इसमें यूट्रस और ओवेरी का निर्माण नहीं किया जाता है। चार लाख की सर्जरी सात हजार में

डॉक्टरों के मुताबिक निजी अस्पतालों में सेक्स बदलने की सर्जरी पर करीब तीन से चार लाख खर्च आता है। जबकि केजीएमयू में मरीज का सात हजार रुपये ही खर्च हुए हैं।


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