लखनऊः विद्यार्थियों का पलायन रोकना सबसे बड़ी चुनौती
राजधानी की शैक्षिक स्थिति पर लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कुछ इसी तरह चिंता जताई है।
राजधानी को एजुकेशन का हब माना जाता है। प्राइमरी से लेकर माध्यमिक तक यहां पर एक से बढ़कर एक स्कूल और कॉलेज हैं। उच्च शिक्षा के लिए भी बेहतर संस्थान हैं। फिर भी हर साल यहां से बड़ी संख्या में विद्यार्थी पुणे, दिल्ली, बंगलुरू और मुम्बई जैसे शहरों में जाकर पढ़ाई करना अधिक पसंद करते हैं। इसके क्या कारण हैं? इस पर मंथन करने के साथ ही इसे चुनौती मानकर पलायन को रोकना होगा।
राजधानी की शैक्षिक स्थिति पर लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कुछ इसी तरह चिंता जताई है। प्रो. सिंह को नेशनल पीजी कॉलेज को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है। कभी टीन शेड में चलने वाला यह कॉलेज उनके प्राचार्य पद पर रहते हुए ही एक उत्कृष्ट शिक्षण केंद्र में तब्दील हुआ। इस स्वायत्त कॉलेज में दाखिले के लिए आज पूरे देश से विद्यार्थी आते हैं और उनके बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।
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प्रो. एसपी सिंह कहते हैं कि लखनऊ विश्वविद्यालय दो वर्ष बाद सौ साल का हो जाएगा। ऐसे में न केवल इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय को बल्कि शहर के अन्य विश्वविद्यालयों को भी अपने यहां राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों के समकक्ष सुविधाएं और मानक उपलब्ध कराने होंगे, ताकि दूसरे राज्यों और विदेशों से विद्यार्थी यहां पर पढ़ने आएं। अच्छे विद्यार्थियों को आकर्षित करना बहुत जरूरी है।
प्रो. सिंह ने बताया कि उन्होंने लविवि में अपने डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में अभी तक अच्छे विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए सभी उपाए किए हैं। प्रवेश परीक्षा से दाखिला लिया और टीचिंग, लर्निंग और रिसर्च पर फोकस किया। उनके अनुसार यह तभी संभव है जब कैंपस में शैक्षिक वातावरण और अनुशासन का माहौल बने।
बेवजह की राजनीति से कैंपस को दूर रखा जाए। क्योंकि जो ऊर्जा पठन-पाठन का माहौल बनाने में लगाई जानी चाहिए, वह यहां अनुशासनहीनता करने वालों को काबू में रखने में ही खर्च हो जाती है। कैंपस की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार गंभीर है और वह मजबूती के साथ एक्शन प्लान बना रही है। स्नातक में ऑनर्स कोर्सेज पर जोर देना होगा। अभी आठ विषयों में ही ऑनर्स की व्यवस्था की गई है, लेकिन आगे इसे और बढ़ाना होगा। तभी वह दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करेंगे।
प्रो. सिंह के अनुसार रिसर्च की तरफ विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए पुरस्कार योजना उन्होंने शुरू की तो इसके अच्छे परिणाम निकले। उत्कृष्ट विभाग चुनने के लिए भी विभागों के बीच प्रतियोगिता करवाई गई। उनके अनुसार राष्ट्रीय स्तर की रैकिंग में तभी अच्छा स्थान मिलेगा, जब हम टीचिंग, लर्निंग और रिसर्च में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
एप्लीकेशन बेस्ड सिलेबस से ही विद्यार्थियों का होगा भला
परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को अब एप्लीकेशन बेस्ड पढ़ाई करवानी होगी। इसे देखते हुए ही लविवि का सिलेबस अपडेट हुआ है। सभी संस्थानों को चाहिए कि वह अपने सिलेबस को एप्लीकेशन बेस्ड बनाएं। 20 प्रतिशत सिलेबस स्किल डेवलपमेंट पर आधारित होना चाहिए। सेमेस्टर प्रणाली में विद्यार्थियों को केस स्टडी और सरकारी योजनाओं के रिव्यू के साथ समाज से सीधे जोड़ना होगा।
प्लेसमेंट और स्किल डेवलपमेंट से जीतना होगा भरोसा
राजधानी की उच्च शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों का अच्छा प्लेसमेंट होना बड़ी चुनौती है। इंडस्ट्री से विद्यार्थियों का सीधा संवाद और उन्हें अच्छी जॉब दिलाना प्राथमिकता होना चाहिए।
निजी स्कूलों की तरह बदले सरकारी स्कूलों की सूरत
राजधानी में प्राइमरी से लेकर माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई के लिए एक से बढ़कर एक निजी स्कूल मौजूद हैं, जो हर साल बोर्ड परीक्षा में श्रेष्ठ रिजल्ट लाकर कमाल दिखा रहे हैं, लेकिन सरकारी प्राइमरी स्कूल और माध्यमिक स्कूलों में बेहतर पढ़ाई और संसाधन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में गरीब घरों के बच्चों का भविष्य बेहतर कैसे बनेगा। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की कमी भी चिंता का विषय है।
हालांकि वर्तमान सरकार ने मॉडल स्कूलों को स्थापित कर बेहतर काम किया है। इसकी संख्या बढ़ानी होगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत जरूरतमंदों को निशुल्क दाखिला दिलाने की भी फूलप्रूफ व्यवस्था हो।
बेहतर शिक्षा की व्यवस्था के लिए कुछ सुझाव
- एप्लीकेशन बेस्ड सिलेबस पर जोर दिया जाए।
- राजधानी से दूसरे राज्यों में हो रहे विद्यार्थियों का पलायन रोका जाए।
- पुराने उच्च शिक्षण संस्थान संसाधनों के मोहताज हैं, बेहतर संसाधन के लिए सरकार व फंडिंग एजेंसी उन्हें पूरी मदद दें।
- उच्च स्तरीय रिसर्च के लिए भी फंड दिया जाए।
- पढ़ाई के साथ-साथ स्किल डवलपमेंट पर भी फोकस हो।
- कैंपस में अनुशासन बना रहे इसके लिए पुलिस पूरा सहयोग दे।
- अच्छे विद्यार्थी आकर्षित हों, इसके लिए रोजगारपरक कोर्स पर जोर दिया जाए।
- काउंसिलिंग व प्लेसमेंट की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
- विद्यार्थियों व शिक्षकों को रिसर्च के लिए प्रेरित करने के लिए पुरस्कार योजना शुरू हो।
- सरकारी स्कूलों में संसाधन बढ़ें और बेहतर पढ़ाई की व्यवस्था हो।
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