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लखनऊ शहर में विकास के लिए बने निगरानी समिति

सेवानिवृत्त न्यायाधीश रजा ने 90 के दशक में तबेलों को शहरी सीमा से बाहर करने का आदेश देने के बाद उसका पालन भी कराया था और नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी को पीएसी मुहैय्या कराई थी।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 06:00 AM (IST)
लखनऊ शहर में विकास के लिए बने निगरानी समिति

अदालत की कुर्सी पर बैठकर शहर की बेहतरी के बारे में निर्णय देने वाले हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सैयद हैदर अब्बास रजा के मन में आज भी शहर को संवारने के सुझाव हैं। वह कहते हैं कि शहर का विकास अनियोजित तरह से हो रहा है। एक विभाग सड़क बनाता है तो दूसरा विभाग पाइप लाइन डालने के लिए खोद देता है। लिहाजा नई सड़क पुरानी होकर शहरवासियों के लिए समस्या बन जाती है। ऐसा नहीं होना चाहिए।

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उनके अनुसार शहर में अवस्थापना सुविधाओं के लिए एक निगरानी समिति बननी चाहिए, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ ही विशेषज्ञ भी हों। हर माह इसकी एक बैठक हो। उन्होंने खुद न्यायाधीश रहते हुए शहर के विकास के लिए निगरानी समिति बनाई भी थी, जिसके अच्छे परिणाम दिखाई दिए थे। इससे एक दूसरे विभागों की योजनाओं का भी पता चल जाता था।

चौतरफा सुधार की जरूरत

सेवानिवृत्ति के बाद राजधानी में ही रह रहे पूर्व न्यायाधीश सैयद हैदर अब्बास रजा कहते हैं कि चौतरफा सुधार की जरूरत है। सड़क, पानी, बिजली, सीवर और गोमती तक की दशा को सुधारना होगा। मसलन, भरवारा में 350 एमएलडी और दौलतगंज में 54 एमएलडी का एसटीपी तो है, फिर भी सीवर गोमती नदी में गिर रहा है। सीवर को एसटीपी में जाना चाहिए और शोधन उपरांत ही वह नदी में गिराया जाए।

अवैध कब्जों व अतिक्रमण पर हो सख्ती

फुटपाथ पर अवैध कब्जों को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने न्यायाधीश की हैसियत से इस संबंध में आदेश भी दिया था। शासनादेश भी है कि फुटपाथ अतिक्रमण से मुक्त हो जाए तो सड़क पर पैदल चलने वालों का दबाव कम हो, इससे यातायात को भी राहत मिलेगी, लेकिन पालन नहीं होता। शहर की सबसे चौड़ी सड़क विक्टोरिया स्ट्रीट है, लेकिन आज अतिक्रमण ने उसे गली बना दिया है। सुबह से शाम तक जाम रहता है। वह कहते हैं कि जब तक पुलिस पर सख्ती नहीं होगी तब तक अतिक्रमण हटने वाला नहीं है।

सफाई के लिए बने नियोजित प्लान

वह कहते हैं कि शहर की सफाई के लिए नियोजित प्लान बनाना चाहिए। शहर में गंदगी बढ़ रही है। गलियों व नालियों की सफाई नहीं होती है और लोगों को खुद के खर्च पर सफाई करानी पड़ती है। घर-घर से कूड़ा एकत्र करने की योजना फ्लाप साबित हुई है।

ऐसे में नगर निगम को चाहिए कि वह सफाई इंतजाम को बेहतर बनाने के लिए कड़े कदम उठाए और घर-घर से शत प्रतिशत कूड़ा एकत्र किया जाएगा। गंदगी फैलाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। नालियों के ऊपर हो गए अतिक्रमण को हटाया जाए, जिससे उसकी नियमित सफाई हो सके। चरणबद्ध तरह से हर इलाके को सीवर लाइन से जोड़ा जाए, जिससे सड़कों व नालियों में मलमूत्र न जा सके। इसके अलावा कूड़ाघर बन गए खाली भूखंडों के मालिकों पर कार्रवाई की जाए।

शहर से बाहर हों डेयरियां

सेवानिवृत्त न्यायाधीश रजा ने 90 के दशक में तबेलों को शहरी सीमा से बाहर करने का आदेश देने के बाद उसका पालन भी कराया था और नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी को पीएसी मुहैय्या कराई थी। उस समय शहर से डेयरियां गायब हो गई थीं, लेकिन पुलिस और नगर निगम की मिलीभगत से आबादी के बीच फिर से डेयरियां आ गई हैं। इन डेयरियों को बाहर किया जाना चाहिए।

सार्वजनिक शौचालय बनें

शहर में सार्वजनिक शौचालयों की काफी कमी है और आज भी लोगों को जुगाड़ तलाशनी पड़ती है। मुख्य मार्गों के साथ ही प्रमुख बाजारों में पर्याप्त सार्वजनिक शौचालय बनाए जाना चाहिए।

इन पर भी दें ध्यान

शहर के बेहतर यातयात के लिए हर क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बढ़ाया जाए, जिससे दो पहिया और चार पहिया वाहनों का सड़क से दबाव कम हो सके। मेट्रो से इसमें राहत मिलेगी, लेकिन संपर्क मार्गों पर आवागमन बेहतर करना होगा। इसके अलावा पानी की बर्बादी रोकने के साथ ही वर्षा जलसंचयन पर जोर देना चाहिए और शासनादेश के तहत भवनों में वर्षा जलसंचयन के संयंत्र को कड़ाई से लगवाना चाहिए।


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