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लखनऊ के इस 'सेवादार' ने की ऐसी व्‍यवस्‍था, कोई तीमारदार अस्‍पताल में नहीं रहता भूखा

2006-07 में तीमारदारों को भोजन कराने के संकल्प पर काम शुरू किया। पहले विवेकानंद व सिविल हॉस्पिटल में भोजन का प्रबंध किया।

By Krishan KumarEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 06:00 AM (IST)
लखनऊ के इस 'सेवादार' ने की ऐसी व्‍यवस्‍था, कोई तीमारदार अस्‍पताल में नहीं रहता भूखा

जागरण संवाददाता, लखनऊ : 

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गुडग़ांव के एक अस्पताल में पिता का इलाज कराते समय देखा कि कई तीमारदार जग रहे थे। बातचीत से पता चला कि उनमें कुछ लोग भूखे थे। महंगे इलाज के कारण आर्थिक रूप से टूट चुके थे। यह जानकर मन बहुत दुखी हुआ। यहीं से ठान लिया कि सक्षम होने पर अस्पताल में गरीब तीमारदारों को भूखे नहीं सोने देंगे। लखनऊ के विशाल सिंह का संकल्प आज साकार हो चुका है। आज वह कुछ साथियों के सहयोग से केजीएमयू परिसर में प्रतिदिन ढाई सौ से अधिक मरीजों के तीमारदारों को नि:शुल्‍क भोजन कराने का पुण्य काम कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि शहर के सभी अस्पतालों में तीमारदारों के भोजन की व्यवस्था हो।

इसी कड़ी में उन्होंने बलरामपुर अस्पताल व डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में नि:शुल्‍क भोजनालय केंद्र खोलने की व्यवस्था की है। इसके इतर वह शहर के प्रमुख चौराहों पर स्वच्छ पेयजल संयंत्र लगवाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। रुड़की (उत्तराखंड) के मूल निवासी विशाल सिंह (37) दो दशक पहले लखनऊ आए थे। रोजगार के लिए कई कार्य किए। बाद में कुछ आय के‍ लिए मोमबत्ती बनाने का व्यवसाय शुरू किया। इसके बाद सीतापुर रोड पर इलेक्ट्रिकल सामानों की इकाई स्थापित की। उसमें कई लोगों को रोजगार भी दिया। इस व्यवसाय से उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी।

2006-07 में तीमारदारों को भोजन कराने के संकल्प पर काम शुरू किया। पहले विवेकानंद व सिविल हॉस्पिटल में भोजन का प्रबंध किया। घर पर भोजन के 100-150 पैकेट बनवाते और उसे लेकर अस्पताल जाते। वहां भूखे तीमारदारों को भोजन कराते। यह काम उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था। बीच में मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के चलते यह कार्य बंद हो गया। केजीएमयू के चिकित्सकों ने काफी इलाज किया।
इसके बाद जब वह स्वस्थ हुए तो वर्ष 2014 में नई ऊर्जा से केजीएमयू में तीमारदारों के लिए भोजन की व्यवस्था में जुट गए।

उनके प्रयासों को देखते हुए मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने न्यूरोलॉजी वार्ड के सामने भोजन बनवाने के लिए स्थान निर्धारित कर दिया। तब से यहां प्रतिदिन सुबह करीब ढाई सौ जरूरतमंदों को टोकन बंटवाते हैं। दोपहर 12.30 बजे से 3.30 बजे तक बकायदा बैठाकर तीमारदारों को भोजन कराया जाता है। खास बात है कि विशाल इस कार्य में किसी व्यक्ति से आर्थिक सहयोग नहीं लेते हैं । हां, 'प्रसादम सेवा' में स्वेच्छा से राशन व अन्य सामान दान दे सकता है। उनके कुछ साथी विशेष अवसरों पर भोजन की व्यवस्था में सहयोग करते हैं।

लोहिया व बलरामपुर हॉस्पिटल शीघ्र शुरू होगी प्रसादम सेवा
विजयश्री फाउंडेशन के संस्थापक विशाल सिंह कहते हैं कि उनकी संस्था की ओर से शीघ्र ही लोहिया व बलरामपुर अस्पताल में प्रसादम सेवा शुरू की जाएगी। बलरामपुर अस्पताल में भोजनालय केंद्र बन गया है। लोहिया अस्पताल में भी जगह मिल गई है। वह शहर के प्रमुख चौराहों पर स्वच्छ पेयजल व भोजन की भी व्यवस्था कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने प्रशासन के साथ ही कई संस्थाओं से समन्वय स्थापित किया है।

बच्चों के लिए अस्पताल में खुला मिनी पार्क
विजय श्री फाउंडेशन की ओर से बलरामपुर अस्पताल में बच्चों के लिए एक थिएटर बनाया गया है। वहां उन्हें ज्ञानवर्धक फिल्में दिखाने की व्यवस्था की गई है। इसके इतर यहां बच्चों के भोजन के अलावा खेलने के लिए झूले, मोटर गाड़ी का भी इंतजाम है। यह स्थान अब मिनी पार्क की शक्ल में है।

यूरोपियन व प्रवासी भारतीयों को देंगे सेवा का संदेश
प्रसादम सेवा के जरिए चर्चा में आए विशाल सिंह को वर्ल्‍ड एनआरआइ संगठन ने जरूरतमंदों की सेवा का संदेश देने के लिए यूरोप आमंत्रित किया है। विशाल ने बताया कि कि वह अक्टूबर में यूरोप जाएंगे। वहां सामाजिक कार्यों पर व्याख्यान देंगे। साथ ही यूरोपियन व प्रवासी भारतीयों को सेवा भाव के लिए प्रेरित करेंगे।


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