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विद्यार्थियों के करियर को नई उड़ान दे रहा लखनऊ

राजधानी में लखनऊ विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजों में करीब 1.15 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। वर्तमान सत्र से बीए, बीएससी व बीकॉम में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के साथ सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई है। वहीं बीए ऑनर्स के कोर्सेज की संख्या बढ़ाई गई है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 03:09 PM (IST)
विद्यार्थियों के करियर को नई उड़ान दे रहा लखनऊ

हाल के वर्षों में एनसीआर के बाद लखनऊ प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा एजुकेशन हब बनकर उभरा है। परंपरागत के साथ तकनीकी, प्रोफेशनल व मेडिकल शिक्षा के चार सौ से अधिक बड़े संस्थान राजधानी में मौजूद हैं। यही नहीं गीत-संगीत और नृत्य की शिक्षा व कॅरियर संवारने के अवसर भी उपलब्ध हैं। करीब 97 वर्ष पुराना लखनऊ विश्वविद्यालय है, जिससे संबद्ध करीब 175 डिग्री कॉलेज हैं।

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वहीं, आइआइएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के अलावा इंजीनियरिंग व प्रोफेशनल कोर्सेज की पढ़ाई के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) है, जिससे पूरे प्रदेश में 593 इंजीनियरिंग कॉलेज संबद्ध हैं। इसमें से कुछ लखनऊ में हैं। मेडिकल की पढ़ाई के लिए देश ही नहीं, दुनिया में विख्यात किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी है। गीत-संगीत व नृत्य में पारंपरिक शिक्षा देने के लिए भातखंडे संगीत सम विश्वविद्यालय जैसा संस्थान है।

बारहवीं तक के स्कूलों की लंबी सीरीज

राजधानी में प्राइमरी से लेकर माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई के लिए एक से बढ़कर एक नामचीन संस्थान हैं। मिशनरी स्कूलों में लॉरेटो कान्वेंट, लामार्टीनियर गर्ल्स कॉलेज, लामार्टीनियर ब्वायज कॉलेज, सेंट फ्रांसिस, कैथेड्रल व क्राइस्ट चर्च जैसे कई विद्यालय हैं। सिटी मांटेसरी स्कूल की विभिन्न शाखाओं में 54 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं।

इसके अलावा जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल, स्टेफर्ड स्कूल, सेठ एमआर जयपुरिया, सेठ एआर जयपुरिया जैसे कई शिक्षण संस्थान भी उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिए मौजूद हैं। सीबीएसई, सीआइएससीई व यूपी बोर्ड के करीब 791 स्कूल हैं। केंद्रीय विद्यालय की भी कई शाखाएं हैं। हालांकि यूपी बोर्ड के सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों में कई जगह संसाधनों की कमी है और पढ़ाई के स्तर पर भी निजी के मुकाबले सवाल उठते हैं। 

सेमेस्टर सिस्टम से बदलेंगे पढ़ाई

राजधानी में लखनऊ विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजों में करीब 1.15 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। वर्तमान सत्र से बीए, बीएससी व बीकॉम में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के साथ सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई है। वहीं बीए ऑनर्स के कोर्सेज की संख्या बढ़ाई गई है।

इसे क्वालिटी एजुकेशन की दिशा में बढ़ाया गया कदम माना जा रहा है। इसी का असर है कि इस बार लविवि में रिकार्ड 28 हजार आवेदन आए थे। हालांकि विवि में अभी शिक्षकों के 436 में से करीब 180 पद खाली चल रहे हैं जो शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने में बड़ा रोड़ा हैं।

एकेटीयू कर रहा कौशल विकास पर फोकस

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) से प्रदेश भर के इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेज जुड़े हैं। हाल के वर्षों में कई कॉलेजों में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट की सीटें खाली रहने से पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। यही कारण है कि अब विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को तमाम ऑनलाइन सुविधाएं देने के साथ-साथ नव प्रयोग व कौशल विकास पर फोकस किया है। विद्यार्थियों को स्टार्टअप शुरू करने में मदद भी दी जा रही है।

कला, संगीत व कानून की विशेष पढ़ाई

लखनऊ में कला, संगीत व कानून की शिक्षा के लिए विशेष संस्थान हैं, जो जल्द दूसरे शहर में नहीं मिलते। मसलन, शास्त्रीय संगीत, गीत व नृत्य की शिक्षा देने का अनूठा केंद्र भातखंडे संगीत सम विश्वविद्यालय है, जिसने देश को एक से बढ़कर एक नगीने दिए हैं।

लविवि से संबद्ध कला एवं शिल्प महाविद्यालय में फाइन आर्ट्स, कॉमर्शियल आर्ट्स व स्कल्पचर के विशेषज्ञ तैयार किए जाते हैं। यहां से निकले कलाकारों की कलाकृतियों ने देश ही नहीं विदेश तक धूम मचायी है। इसी तरह कानून की पढ़ाई के लिए प्रदेश की इकलौती डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी है। गवर्नमेंट आर्किटेक्चर कॉलेज में आर्किटेक्चर की बेहतरीन शिक्षा दी जा रही है।

दिव्यांगों को शिक्षा देने के लिए देश की अनूठी यूनिवर्सिटी

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में दिव्यांगों को विशेष रूप से शिक्षा देने की व्यवस्था है। यहां 50 प्रतिशत सीटें दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं। यही नहीं साइन लैंग्वेज सेंटर के साथ-साथ आर्टीफिशियल लिंब सेंटर भी यहां मौजूद हैं। यहां दिव्यांगों के साथ-साथ सामान्य विद्यार्थी भी पढ़ते हैं। ऐसे में समावेशी शिक्षा देने का भी यह केंद्र है।

बीबीएयू में पिछड़े तबके को उत्कृष्ट शिक्षा देने की व्यवस्था

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में एससी-एसटी के विद्यार्थियों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। यहां पर विभिन्न स्नातक, परास्नातक के साथ-साथ प्रोफेशनल कोर्सेज संचालित हैं। करीब 96 कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन संसाधन मौजूद हैं।

...लेकिन बेहतर प्लेसमेंट की दरकार

लखनऊ में विभिन्न विधाओं के शैक्षिक संस्थाओं की मौजूदगी के बावजूद यहां से पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थियों का अपेक्षित प्लेसमेंट नहीं हो पा रहा। इस ओर संस्थाओं को ध्यान देना होगा।

आरटीई का सबको नहीं मिल रहा लाभ  

राजधानी में स्कूलों की लंबी श्रंखला होने के बावजूद शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निर्धन मेधावी बच्चों को सभी जगह दाखिला नहीं मिल पा रहा। प्राइवेट स्कूलों में इसके तहत करीब 25 हजार सीटें हैं, लेकिन इनमें से इस बार केवल तीन हजार पर ही बच्चों को दाखिला मिला है।

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