हे भगवान! अब तो नहीं चल रहा तुम्हारा भी 'सिक्का'
मंदिर सिक्कों को खपाने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। हनुमान सेतु मंदिर में करीब डेढ़ से दो लाख रुपए के सिक्के अलग पैकेट बनाकर अलमारियों में रखे गए हैं।
लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। अधिकांश बैंक में इन दिनों आदमी क्या भगवान का सिक्का भी नहीं चल रहा। इधर मंदिरों में दान में आने वाले सिक्कों का स्टॉक इकट्ठा हो गया है और बैंक हैं कि जमा करने में काफी आनाकानी कर रहे हैं।
इस सिक्कों पर बैंक सीधे इन्कार भी नहीं कर रहे, पर स्वीकार भी नहीं कर रहे। मंदिर इन सिक्कों को खपाने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। लखनऊ के प्रमुख हनुमान सेतु मंदिर में करीब डेढ़ से दो लाख रुपए के सिक्के अलग-अलग पैकेट बनाकर अलमारियों में रखे गए हैं, लेकिन इनके बैंक में जमा होने की नौबत नहीं आ रही। अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर में भी करीब 3000 सिक्के जमा हैं। प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में 5000 रुपये के सिक्के जमा हैं। यह समस्या सिर्फ लखनऊ ही नहीं सभी जगह है।
अयोध्या के बिरला मंदिर में प्रति माह 12 से 15 हजार रुपये मूल्य के सिक्के आ जाते हैं। इन सभी मंदिरों के प्रबंधन ने शुरू में इन सिक्कों को स्टेट बैंक में जमा करने की कोशिश की पर कामयाबी नहीं मिली। पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी में सिक्के के रूप में प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये जमा हो रहे हैं। मंदिर का खाता बीओबी में है। दूसरे मंदिरों में भी यही स्थिति है।
जुगाड़ से खपा रहे
सिक्के खपाने के लिए मंदिरों ने अलग-अलग जुगाड़ कर रहे हैं। मंदिर कर्मचारियों को ज्यादातर भुगतान सिक्कों में कर रहे हैं। अयोध्या के बिरला मंदिर स्थित पुजारी अंकुश झा के अनुसार झंझट से आजिज आकर सिक्कों को बैंक में जमा करने का इरादा त्याग दिया और नित्य की सब्जी और कुछ अन्य खर्च में सिक्कों का इस्तेमाल होता है।
टाल रहे बैंक
लखनऊ में हनुमान सेतु मंदिर समिति के सचिव दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं कि मंदिर का खाता पहले यूको बैंक में था। वहां भी पैसे जमा कराने में दिक्कत आ रही थी। इसी कारण हमने तो एसबीआइ मुख्य शाखा में खाता खुलवा लिया। मंदिर में हर रोज हजारों सिक्के आते हैं। बैंक की तरफ से सिक्कों को जमा करने के लिए दिन निर्धारित हैं। कर्मचारी सिक्कों से परेशान हैं। इन्हें आगे नहीं जमा करा पा रहे इसी कारण सीधे इन्कार तो नहीं करते, लेकिन आनाकानी चलती है। इस संबंध में बैंक अधिकारी खुलकर कुछ नहीं कहते लेकिन आफ द रिकार्ड बताते हैं कि रिजर्व बैंक भी सिक्के लेने में आनाकानी करता है।
यह है नियम
कोई बैंक सिक्कों को लेने से मना नहीं कर सकता। सिक्कों को जमा करने के लिए बैंक को अपनी सुविधा अनुसार काउंटर खोलने होंगे। ग्राहक से आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए सिक्कों को 100 के पैकेट में तैयार कर लें।
बैंक सिक्के लेने से मना नहीं कर सकते
प्रवक्ता आरबीआइ, अल्पना किल्लावाला ने कहा कि अधिक मात्र में एकत्र होने पर उन्हें करेंसी चेस्ट भेज जा सकता है। बैंक सिक्के लेने से मना नहीं कर सकते। जमाकर्ता को भी थोड़ा इस ओर ध्यान देना होगा कि वह एक आकार व एक धनराशि के सिक्कों का पैकेट बना कर जमा करें। इसमें बैंक कर्मियों को भी आसानी होगी। यदि कोई बैंक महीने भर तक सिक्के लेने से इन्कार करता है तो इस बात की बैंकिंग लोकपाल में शिकायत की जा सकती है।