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डॉ.कल्बे सादिक ने एकता और इंसानियत का पढ़ाया पाठ : मौलाना सफी हैदर

लखनऊ दिवंगत मौलाना डॉ.कल्बे सादिक की रूह को सुकून देने के लिए हुई मजलिस। मौलाना सफी हैदर ने कहा कि सर्वधर्म समभाव की मिसाल रहे मौलाना के विचार समाज को हमेशा आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:15 PM (IST)
डॉ.कल्बे सादिक ने एकता और इंसानियत का पढ़ाया पाठ : मौलाना सफी हैदर
दिवंगत मौलाना डॉ.कल्बे सादिक की रूह को सुकून देने के लिए हुई मजलिस।

लखनऊ, जेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक की रूह को सवाब देने के लिए रविवार को इमामबाड़ा गुफरानअमाब में मजलिस हुई। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सफी हैदर ने कहा कि मौलाना ने धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर एकता और इंसानियत का जो पाठ पढ़ाया, उसे हर इंसान को जीवन में उतारना चाहिए। सादगी पसंद मौलाना डॉ.कल्बे सादिक की रुह को सुकून पहुंचाने के लिए हम सबको उनके बताए रास्ते पर चलना होगा।

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मजलिस के पहले ही इमामबाड़ा गुफरानमाब में मौलानाओं और उनके चाहने वालों का जमावड़ा लग गया। मौलाना के दिवंगत होने के पांचवे दिन पंजुम की मजलिस से पहले उनकी रूह को सुकून देने के लिए कुरआन पाक की तिलावत हुई। सादगी पसंद मौलाना के प्रति लोगों चाहत का दीदार इमामबाड़ा में मजलिस के दौरान उमड़ी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। नम आंखों और गम के माहौल में हर ओर सिर्फ मौलाना की इंसानियत को लेकर चर्चा की जा रही थी। सर्वधर्म समभाव की मिसाल रहे मौलाना के विचार समाज को हमेशा आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे। वहीं, इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उनके जाने से एक नेक इंसान का चला गया है। मजलिस में कई मौलाना शामिल हुए। 

बता दें, मौलाना डॉ.कल्बे सादिक का 81 वर्ष की उम्र में 24 नवंबर को एरा मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया था। उन्हें सांस की दिक्कत होने पर 17 नवंबर को भर्ती कराया गया था। मौलाना के बेटे मौलाना कल्बे सिब्ते नूरी ने बताया कि डॉ. कल्बे सादिक को सांस लेने में परेशानी थी।

वसीयत में की सुरक्षा की अपील

दिवंगत मौलाना डॉ.कल्बे सादिक ने अपनी वसीयत में सभी को सुरक्षा के चलते मजलिस के बजाय घरों में ही रूह को सुकून पहुंचाने के तिलावत-ए-कुरआन की अपील करके अपनी इंसानियत का सशक्त पैगाम दिया। मजलिस के दौरान मौलाना ने जिक्र किया तो सभी की आंखें नम हो गईं।


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