Defence Expo 2020: दुश्मनों का काल यानी..मार्कोस, ये है खासियत
Defence Expo 2020 मार्कोस..पांच से नौ फरवरी के बीच वे आम लोगों को भी अपने जौहर दिखाएंगे।
लखनऊ, जेएनएन। मार्कोस..। नौसेना के वे घातक कमांडो जिनका अभी तक आपने सिर्फ नाम सुना होगा। टीवी पर देखा होगा। खासियत अखबारों में पढ़ी हो लेकिन, वही कमांडो पहली बार हकीकत में लखनऊ वालों से रूबरू होंगे। डिफेंस एक्सपो के बहाने वे अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। डेमो ऑपरेशन के जरिए बताएंगे, आखिर वे क्यों खास है..? इसीलिए उनके लिए गोमती नदी में खासतौर से समुद्री माहौल तैयार किया गया है। शनिवार को कमांडो ने गोमती नदी में दम दिखाया। पांच से नौ फरवरी के बीच वे आम लोगों को भी अपने जौहर दिखाएंगे। आखिर कौन हैं ये मार्कोस? कैसे नाम पड़ा? कितने ताकतवर हैं? कैसे दिखते हैं और कौन से हथियार रखते हैं? कैसे काम करते हैं? देखने से पहले पढ़िए, जानिए उनकी खासियत..।
ये है खासियत
- 20 वर्ष की उम्र के जांबाजों को भारतीय नौसेना मार्कोस के लिए चुनती है।
- 03 साल तक पानी के भीतर, आसमान और जमीन पर आतंकी ऑपरेशनों की होती है ट्रेनिंग।
- 25 किलो का बैग लादकर भागना होता है। डेथ क्राल सबसे कठिन ट्रेनिंग होती है।
- 2.5 किमी का आब्सेटिकल कोर्स भी होता है। कड़े हौसले वाले ही कर पाते इसे पार।
इनके हथियार
- 21 स्टार इस्राइली गन का करते प्रयोग। कमांडो को स्नाइपर से लेकर हैंडगन तक चलाने की ट्रेनिंग।
गजब की क्षमता
- 11 किमी की हाई एटीट्यूड लो ओपनिंग जंप लगाने में सक्षम। इनका पैराशूट जमीन के पास आकर खोला जाता है।
- 10 से 15 सेकेंड के भीतर हाई एटीट्यूड ओपनिंग जंप में खोलते हैं अपना पैराशूट।
- 40 डिग्री के तापमान पर लगाई जाती है यह छलांग।
- 21/11 के मुंबई हमले में मार्कोस ने ऑपरेशन ब्लैक टोर्नेडो चलाकर ठिकाने लगाए थे सारे आतंकी।
यह भी जानें
- 1987 में श्रीलंका का ऑपरेशन पवन। मार्कोस कमांडो ने शांति सेना के तौर पर भाग लिया। लिट्टे के कब्जे वाले जाफना और त्रिंकोमाली बंदरगाह को आजाद कराया। तब ये कमांडो 12 किमी. समुद्र में पीठ पर बिस्फोटक लादकर तैरे। जाफना बंदरगाह को उड़ा दिया। एक भी कमांडो घायल नही हुआ था।
- 1988 में मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस। मालदीव में सत्ता पलटने की आतंकियों की कोशिश को नाकाम किया था।
- 1999 में कारगिल युद्ध। इस लड़ाई में मार्कोस कमांडो ने पाकिस्तानी सैनिकों को उनकी सीमा में धकेलने में मदद की।
पहले थे मरीन कमांडो
- 1987 में समुद्री लुटेरों और आतंकी ऑपरेशनों के लिए तैयार हुई थी स्पेशल यूनिट। पहले इन्हें मरीन कमांडो कहते थे। माकरेस को दुनिया की बेहतरीन अमेरिकी नेवी के सील कमांडो की तर्ज पर तैयार किया जाता है। 26/11 के मुंबई हमले में पहली बार माकरेस को नौसेना क्षेत्र के बाहर ऑपरेशन में लगाया गया था। इनकी यूनीफार्म खास डिजाइन की होती है, दुनिया भर की स्पेशल फोर्स के साथ करते हैं अभ्यास। माकरेस की अधिकांश ट्रेनिंग आइएनएस अभिमन्यु में होती है। यह एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। माकरेस समुद्र के भीतर तैरते हुए दुश्मन देशों के तट तक पहुंच सकते हैं।