रामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर के स्वरूप को लेकर गहराने लगा संशय Ayodhya news
संभावित शासकीय न्यास के सामने रामभक्तों की गगनचुंबी आकांक्षा से न्याय के साथ विहिप और उसके समर्थकों को साधने की चुनौती।
अयोध्या, (रघुवरशरण)। रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर के स्वरूप को लेकर संशय गहराता जा रहा है। गगनचुंबी मंदिर की आकांक्षा के आगे मंदिर का वह मॉडल बौना प्रतीत होने लगा, जिसके अनुरूप रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में मंदिर के लिए शिलाओं को गढऩे का काम 1991 से ही शुरू हुआ।
रामजन्मभूमि न्यास के ही सदस्य पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने तो रामलला का मंदिर भव्यतम होने के साथ उसकी माप भी निर्धारित की। उनके मुताबिक राममंदिर के शिखर की उंचाई 1011 फीट तथा उसका विस्तार दो सौ एकड़ में होना चाहिए। ...तो रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने राममंदिर को 1008 फीट ऊंचा बनाए जाने की वकालत करने के साथ कहा, राममंदिर इतना भव्य होना चाहिए कि इसमें एक साथ एक लाख आठ हजार श्रद्धालु रुक सकें। इतने ही लोगों के भोजन के लिए विशाल आगार और विशाल सीता रसोई भी संयोजित हो। सुप्रीम कोर्ट में मंदिर की दावेदारी से जुड़े रहे पूर्व आइपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने भव्यतम मंदिर की साध का इजहार करते हुए कहा, रामलला का मंदिर कम से कम एक हजार करोड़ की लागत से निर्मित होना चाहिए।
रामलला के भव्यतम मंदिर की आकांक्षा कितनी व्यापक है। यह सच्चाई शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू से भी बयां हुई। निर्णय आने के पखवारे भर के भीतर ही बक्सर में रामकथा के दौरान मंच से ही बापू ने कहा, राम का ऐसा मंदिर बने जैसा मंदिर दुनिया में दूसरा न हो। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बार-बार रामलला के गगनचुंबी मंदिर की संभावना जताते रहे हैं।
गत सोमवार को प्रयाग में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में विहिप समर्थक संतों ने यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें उसी मॉडल के अनुरूप मंदिर मंजूर होगा, जिसके आधार पर दशकों तक मंदिर आंदोलन चला और जिस मॉडल के अनुरूप शिलाओं की 70 फीसदी तराशी पूरी कर ली गई है।
ऐसे में इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि कोर्ट के आदेशानुसार मंदिर निर्माण के लिए संभावित शासकीय ट्रस्ट को मंदिर निर्माण का आकार प्रकार तय करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ेगा। एक ओर रामभक्तों की गगनचुंबी आकांक्षा से न्याय करने की जिम्मेदारी होगी, दूसरी ओर विहिप और उसके समर्थकों की दावेदारी का दबाव होगा।
भव्यतम मंदिरों के आगे नहीं ठहरता न्यास का मंदिर
रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मंदिर 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा एवं 128 फीट ऊंचा है। प्रस्तावित मंदिर का यह आकार भव्यता की श्रेणी में तो रखा जा सकता है, पर जब दुनिया के भव्यतम मंदिरों से तुलना का सवाल हो तो यह मंदिर कहीं नहीं ठहरता। न्यास का प्रस्तावित मंदिर सवा एकड़ क्षेत्र में है। दुनिया का सबसे बड़ा माना जाने वाला कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर पांच सौ एकड़ में है।