UP : TRP बढ़ाने को लेकर कई न्यूज चैनेल रडार पर, ऐसे होता है खेल
लखनऊ इंदिरानगर निवासी विज्ञापन कंपनी के निदेशक कमल शर्मा ने दर्ज कराया मुकदमा। डेटा में छेड़छाड़ कर बढ़ाई जा रही है टीआरपी। एफआइआर में कहा है कि गलत तरह से टीआरपी को ज्यादा दिखाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) के फर्जीवाड़े के मामले में हजरतगंज कोतवाली में जालसाजी, साजिश रचने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई है। ये मामला विज्ञापन गोल्डेन रैबिट लिमिटेड कंपनी के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने अज्ञात चैनलों के खिलाफ दर्ज कराया है। 17 अक्टूबर को गुपचुप तरह से एफआइआर दर्ज कर पुलिस भी शांत बैठ गई। उप्र सरकार की सिफारिश पर सीबीआइ ने भी इस केस को स्वीकार कर लिया है।
इंदिरानगर निवासी कमल शर्मा ने एफआइआर में कहा है कि गलत तरह से टीआरपी को ज्यादा दिखाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। टीआरपी के आधार पर विज्ञापनदाता तय करते हैं कि किस चैनल को विज्ञापन देना है। कई विज्ञापन एजेंसियां भी इसी टीआरपी को मानक मानकर अपने उपभोक्ताओं से डील करती हैं। यह डील इसपर होती है कि फलां चैनल में कितनी देर तक का विज्ञापन दें, जो उनके लिये फायदेमंद रहता है। इसके लिये चैनल एक संस्था के द्वारा रैंडम सर्वे कराती है।
फर्जीवाड़े के लिये रैंडम सर्वे न कराकर ये लोग घरों को चिन्हित कर लेते हैं। फिर मिलीभगत कर उनके यहां पीपुल मीटर डिवाइस लगा देते हैं। इस डिवाइस से ही डेटा तैयार किया जाता है कि उस घर में कौन सा चैनल और उसका कौन सा प्रोग्राम ज्यादा व कितने समय तक देखा गया। इसकी मानीटरिंग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा अधिकृत संस्था बीएआरसी (ब्रॉडकास्टिंग आडियन्स रिसर्च काउन्सिल) द्वारा की जाती है। इसके बावजूद कई टेलीविजन चैनल फर्जी टीआरपी से उपभोक्ताओं व विज्ञापनदाताओं से धोखाधड़ी कर रहे हैं। कमल शर्मा ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हर व्यक्ति व संस्था के खिलाफ साजिश में शामिल होने के तहत कार्रवाई की जानी चाहिये।
कुछ चैनलों को फायदा कुछ को नुकसान
कुछ न्यूज चैनलों के प्रोग्राम को बढ़ाने के लिए उनके डेटा में टेम्परिंग की गई। इस रैंडम टेम्परिंग से प्रोग्राम को बढ़ावा मिला, जिससे कुछ प्रमुख चैनलों को फायदा मिला तो कुछ का नुकसान भी हुआ।
डेटा में छेड़छाड़ कर बढ़ाई गई टीआरपी
वरिष्ठ अफसरों के हिंदी के कुछ चैनलों ने अपने डेटा के साथ छेड़छाड़ करके टीआरपी बड़ाई है, इस मामले में एक निजी कंपनी भी रडार पर है, जिसकी जांच भी शुरू हो गई है। विवेचना के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
ऐसे होता है खेल
मामले की जांच में जुटे अफसरों के मुताबिक बीएआरसी 755 चैनलों को ऑपरेट करता है। कुछ घरों में न्यूज़ चैनलों के पीपुल मीटर डिवाइस लगवाएं हैं। वहीं से न्यूज चैनल टेम्परिंग करके टीआरपी की रेटिंग को मैनिपुलेट कर बढ़ाने-घटाने का खेल करवाते हैं।