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'अंग्रेजों ने हमारी पांडुलिपियों को बहुत नुकसान पहुंचाया'

इंटैक में पांडुलिपि संरक्षण केंद्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोले ज‍िलाध‍िकारी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 11:27 AM (IST)
'अंग्रेजों ने हमारी पांडुलिपियों को बहुत नुकसान पहुंचाया'
'अंग्रेजों ने हमारी पांडुलिपियों को बहुत नुकसान पहुंचाया'

लखनऊ, जेएनएन। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता हड़प्पा है। इसी से अन्य सभ्यताओं का विकास हुआ। अंग्रेजों ने हमारे पुराने इतिहास को बहुत नुकसान पहुंचाया। पांडुलिपियां जो हमारे देश को गौरवांवित करतीं थीं और ज्ञान का भंडार थीं, अंग्रेज उन्हें साथ ले गये और इतिहास के साक्ष्य नष्ट कर दिए। यह बातें जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहीं। वह इंटैक में पांडुलिपि संरक्षण केंद्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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डीएम ने कहा कि देश की सबसे प्राचीन सभ्यता से ही अन्य सभ्यताओं का विकास होता है। जैसे जापान, जर्मनी, फ्रांस आदि अपनी सभ्यता से प्रेरणा लेकर आज विकसित देश बन चुके हैं। इंटैक संरक्षण संस्थान की निदेशक डॉ. ममता मिश्रा ने बताया कि पांडुलिपियों का उपचारात्मक संरक्षण विषय पर एक माह का प्रशिक्षण दिया गया। इसका मकसद पांडुलिपियों का बेहतर संरक्षण करना है। इस मौके पर लविवि के प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन मौजूद रहे।  

आठ करोड़ पत्रकों का संरक्षण : 

प्रोजेक्ट समन्वयक राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन नई दिल्ली डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव ने बताया कि देश में 77 पांडुलिपि संरक्षण केंद्रों द्वारा तीन लाख पांडुलिपियों के 8,70,05,805 पत्रकों का संरक्षण किया जा चुका है। साथ ही कंप्यूटर के माध्यम से 2,99,50,204 पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन किया जा चुका है। हालांकि इससे कहीं अधिक पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाना अभी बाकी है। ऐसे में यहां प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षार्थियों की मदद इस कार्य में मिल सकेगी।

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