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Healthy Lungs : योग-प्राणायाम से फेफड़ों को बनाएं स्‍वस्‍थ्‍य, खुली हवा में करें सांस से जुड़ी कसरत

केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि खांसी सांस फूलना और सांस में रुकावट जैसे लक्षणों को लंबे समय तक नजर अंदाज न करें। यह सांस की गंभीर बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। समय पर इलाज से बीमारी पर काबू पा सकते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 02:09 PM (IST)
केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मना विश्व फेफड़ा दिवस।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। खांसी, सांस फूलना और सांस में रुकावट जैसे लक्षणों को लंबे समय तक नजर अंदाज न करें। यह सांस की गंभीर बीमारी के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं। समय पर इलाज से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। वहीं नियमित योग व प्राणायाम से फेफड़ों की तंदुरुस्त को बरकरार रखा जा सकता है। फेफड़े से जुड़ी बीमारियों को लंबे समय तक टाल भी सकते हैं। यह सलाह केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने दी।

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शनिवार को विश्व फेफड़ा जागरुकता दिवस मना। विभाग की ओपीडी में कार्यशाला हुई। इसमें मरीजों को फेफड़ों की सेहत से जुड़ी जानकारी दी गईं। डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि योग व प्राणायाम नियमित करना चाहिए। सांस से जुड़ी कसरत भी खुली हवा में करें। इससे फेफड़ों की ताकत बरकरार रहती है। प्रदूषण से बचें। सांस के मरीज घर से बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें। उन्होंने बताया कि पौष्टिक आहार लें। इसमें हरी सब्जियां, मौसमी फल आदि का अधिक से अधिक सेवन करें। फेफड़ों की सेहत के लिए भाप लेना भी फायदेमंद हैं।

12 करोड़ लोग धुम्रपान करते हैं: विभाग के डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि लगभग 12 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं। तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट व अन्य प्रकार के धूम्रपान से तौबा करें। इससे फेफड़ों की सेहत को सलामत रखा जा सकता है। क्योंकि तम्बाकू-बीडी के घातक तत्व फेफड़े व सांस की नलियों को नुकसान पहुंचाते हैं। कैंसर जैसी बीमारी की बड़ी वजह बनते हैं। फेफड़े का कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। दुख की बात यह है कि फेफड़े के कैंसर के लक्षण का शुरुआत में पता नहीं चलता है। बीमारी गंभीर होने पर लक्षण नजर आते हैं। गंभीर फेफड़े के कैंसर से पीड़ितों का इलाज कठिन हो जाता है।

17 लाख लोगों की मौत की वजह प्रदूषण: डॉ. अजय वर्मा ने कहा कि फेफड़ों से हमे ऑक्सीजन मिलती है। यदि फेफड़े बीमार हो तो हमारी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। बढ़ते वायु प्रदूषण व धूम्रपान से अनेकों बीमारियां पनप रही हैं। देश में हर साल लगभग 17 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण से हो रही है। इन्ही कारणों से फेफड़ों से जुड़ी बीमारी में भी इजाफा हो रहा है। फिर चाहे निमोनिया, टीबी, अस्थमा, सीओपीडी या कोविड-19 हो। नियमित रूप से मास्क लगायें तो हम कोरोना के साथ-साथ वायु प्रदूषण और अन्य बीमारियों से बच सकते है। कार्यक्रम में डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, डॉ. दर्शन कुमार बजाज, डॉ. ज्योति वाजपेई समेत रेजिडेंट डॉक्टर मौजूद रहे।


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