एप की दुनिया में चीन को चुनौती देने को तैयार हैं लखनवी योद्धा, डिजिटल अस्त्र-शस्त्र के साथ हैं मैदान में
चीनी मोबाइल एप बंद होने से पहले ही लखनऊ के युवा बना चुके हैं कई बेहतरीन एप कोई एप से करवा रहा ड्रोन संचालन तो कोई गाना सुनाने-सिखाने का कर रहा काम।
लखनऊ, ऋषि मिश्र। मोबाइल की दुनिया में चीन के साथ युद्ध छिड़ा हुआ है। मोबाइल के क्षेत्र में चीनी आधिपत्य को भारत ने खुली चुनौती दी है। उनके 59 एप को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब लखनवी योद्धा भी अपने डिजिटल अस्त्र-शस्त्र के साथ मैदान में हैं। कोई गाना सुनाने का शानदार एप बना रहा है तो कोई एक साथ दजर्नों ड्रोन को उड़ाने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन को विकसित कर रहा है। ऐसे ही अनेक युवा अलग-अलग क्षेत्र में मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये गूगल प्ले स्टोर पर चीन के आधिपत्य को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे ही योद्धाओं की मदद में लगा है अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवॢसटी का इनेवोशन विभाग जो कि ऐसे युवा इनोवेटर को एक मंच प्रदान कर रहा है।
वोकल फॉर लोकल: ये एप भारतीय मोबाइल एप्लीकेशन के प्रचार के लिए एकेटीयू के पूर्व छात्र सूर्य प्रताप सिंह ने विकसित किया है। इसके जरिये मोबाइल में चीनी एप्लीकेशन का पता लगाया जा सकता है और उपयोगकर्ता को उन एप को हटाने की जानकारी भी इसके माध्यम से मिलेगी। इसके अतिरिक्त यह एप वैकल्पिक भारतीय एप्स का सुझाव भी देता है।
हेल्थ बैंड: कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए एकेटीयू से जुड़े मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शाहबाज खान ने एकेटीयू लखनऊ से आयोजित वेबिनार में हेल्थ बैंड डिवाइस का विचार प्रस्तुत किया। मरीज को स्वास्थ्य बैंड उस समय दिया जा सकता है जब वह क्वारंटाइन केंद्र में भर्ती हो जाता है। बैंड में उपयोग किए जाने वाले सभी सेंसर समय-समय पर तीन शरीर मापदंडों (तापमान, दिल की धड़कन और रक्त ऑक्सीजन स्तर) को समझेंगे और डेटा पर नजर रखेंगे।
डिजिटल मजदूर: ये एक मजदूर कल्याणकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म है। कोई व्यक्ति कैसे काम ढूंढ सकता है, उसमें यह एप मदद कर रहा है। प्लंबर, बढ़ई, बिजली मिस्त्री, राज मिस्त्री, पेंटर, ड्राइवर जैसे दैनिक मजदूरी श्रमिकों को खोजने और काम पर रखने के लिए एक आसान प्रणाली का उपयोग करके एक उपभोक्ता और एक मजदूर के बीच की खाई को पाटने की कोशिश इस एप के माध्यम से की गई है। मथुरा के वीरेंद्र कुमार ने इसे विकसित किया है। वीरेंद्र ने लखनऊ में डॉ. कलाम स्टार्टअप परिक्रमा और कार्यक्रम में मान्यता प्राप्त की है।
इरेटस मोबाइल एप और वेबसाइट: रितेश पाण्डेय ने इसे विकसित किया है। वह एमबीए के छात्र हैं और एकेटीयू के संबद्व कॉलेज बंसल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज लखनऊ में हैं। एप्लीकेशन परीक्षण चरण में है और फल, सब्जियों और हाउस होल्ड उत्पादों सहित जैविक खाद्य पदार्थों की आपूॢत पर संबंधित है। ऐप बी 2 बी और बी 2 सी दोनों के लिए होगा। ऐप सीधे उपभोक्ताओं से किसानों को जोड़ेगा। ऐप को अगस्त 2020 के पहले सप्ताह में लॉन्च करने की उम्मीद है।
एकेटीयू की इनोवेशन सेल अब और सक्रिय होगी
एकेटीयू की इनोवेशन सेल को अब और सक्रिय करने की तैयारी की जा रही है। सेल के प्रभारी अधिकारी अभिषेक नंदन बताते हैं कि हम लोगों ने प्रदेश में अब तक इस तरह के इनोवेशन को लेकर 30 इवेंट किए हैं। जिस भी शहर में इवेंट करते हैं, उसी शहर के कॉलेजों के विद्याॢथयों को बुलवाया जाता है। लखनऊ में भी इस तरह की इनोवेशन वर्कशॉप होती है। अभिषेक बताते हैं कि जिसमें हम बिजनेस आइडिया कलेक्ट करते हैं। कोई ई-कामर्स के एप बना रहे हैं। कुछ लोगों सेवाओं और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों का समाप्त करने के लिए एप बना रहेे हैं।
इनके एप भी कमाल के
करोड़ों लोगों तक पहुंचा अंकित का म्यूजिक एप
अंकित श्रीवास्तव बताते हैं, साल 2013 में मैंने म्यूजिक एप बनाना शुरू किया। एक साल में बनकर तैयार हुआ। जून 2016 तक इस एप को 1.80 करोड़ लोगों ने उपयोग किया था। पिछले चार साल में संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। इसके चलते गूगल ऐड के जरिए अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है। सीएमएस हाईस्कूल पास करने के बाद कोटा के सेंट जॉन स्कूल से इंटरमीडिएट पास किया। पापा मुकेश पीडब्लयूडी में सिविल इंजीनियर हैं। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर अंकित श्रीवास्तव म्यूजिक एप के नाम से सर्च करके डाउनलोड कर सकते हैं।
आइओटी ड्रोन एप जो करेगा सेना पुलिस की मदद
एप को बनाने वाले मिलिंद राज ने बताया कि यह एक विशेष प्रकार का इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिये ड्रोन को कंट्रोल करने का भारतीय एप है। यह भारत का पहला ऐसा आप है, जिससे अनेक ड्रोन को मोबाइल के माध्यम से चलाया जा सकता है। इसके माध्यम से 15 ड्रोन एक साथ उड़ान भर सकते हैं। यह एंड्रॉइड व आइफोन के लिए है। इसके माध्यम से खास तौर से सेना पुलिस में ड्रोन का चलाना बेहद आसान हो जाएगा। इस एप में जियो फेंसिंग और नो फ्लाइ जोन जैसी महत्वपूर्ण सुरक्षा के लिए लिमिटेशन रखी गई है ताकि कोई भी ड्रोन नो फ्लाइ जोन में प्रवेश न कर पाए।