अब लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र सीखेंगे मछलियों के प्रजनन की तकनीक, बनेंगे उद्यम
Lucknow University Update इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मालीक्यूलर जेनेटिक्स एंड इन्फैक्टीयस डिजीज में शुरू होगा फिश जेनेटिक एंड ब्रीडिंग का कोर्स। थ्योरी और प्रैक्टिकल के माध्यम से ब्रीडिंग की तकनीक विकसित करने उससे रोजगार शुरू करने और नई प्रजाति विकसित करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) का जुलाजी विभाग अब छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ उनमें इंटरप्रिन्योरशिप विकसित करेगा। इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मालीक्यूलर जेनेटिक्स एंड इन्फैक्टीयस डिजीज में परास्नातक स्तर पर ‘फिश जेनेटिक एंड ब्रीडिंग’ कोर्स शुरू किया जाएगा। जिसमें छात्र-छात्राओं को मछलियों के प्रजन्न की तकनीक विकसित करने से लेकर उसकी प्रजातियों को बढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। शुरुआत गिरई मछली की तीन प्रजातियों से करने की तैयारी है। इसका प्रस्ताव बनाकर कुलपति को भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद नए सत्र से इसकी शुरुआत हो सकती है।
दरअसल, प्रदेश में गिरई मछली की 11 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें तीन प्रजातियां चन्ना पंक्टेटस, चन्ना मरोलियस और चन्ना स्ट्राइएटस लखनऊ में मिलती हैं। कोर्स के डायरेक्टर प्रो. एम सेराजुद्दीन बताते हैं कि गिरई मछली की उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मांग है। अभी तक जो बाजार में गिरई मछलियां बिक रही हैं, वह नदी या तालाब में प्राकृतिक प्रजनन से पैदा होती हैं। इसकी ब्रीडिंग की व्यवस्था नहीं है। इसलिए इससे संबंधित कोर्स शुरू किया जाएगा, जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल के माध्यम से ब्रीडिंग की तकनीक विकसित करने, उससे रोजगार शुरू करने और नई प्रजाति विकसित करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
प्रति सेमेस्टर फीस 30 हजार रुपये: इस कोर्स में कुल 40 सीटें होंगी। छह महीने का सर्टिफिकेट और एक साल पूरा करने पर डिप्लोमा दिया जाएगा। कोर्स के माध्यम से उन मछलियों की ब्रीडिंग विकसित करने पर भी कार्य किया जाएगा जो व्यावसायिक तरीके से महत्वपूर्ण हों। ट्रेनिंग के लिए मछलियों के शोध वाले संस्थान के साथ एमओयू भी किया जाएगा।
रोहू, कतला और नैन मछली के मिलते हैं बच्चे: प्रो. एम सेराजुद्दीन के मुताबिक अभी तक सरकारी तौर पर रोहू, कतला और नैन मछली के बच्चे मिलते हैं। उन्हीं से उनकी पैदावार बढ़ती है। लेकिन गिरई मछली की ब्रीडिंग एवं कल्चर की तकनीक नहीं विकसित है।
ये होंगे पात्र: बीएससी जुलाजी, बीएफएससी, बीएससी इन वेटेनरी, बीएससी (कृषि)।