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मक्के के बीज में आयरन बढ़ाने पर शोध करेगा लखनऊ विश्वविद्यालय, जानें- क्या होगा रिसर्च का पैमाना

लखनऊ विश्वविद्यालय जल्द ही मक्के के बीज पर शोध करेगा। एलयू का वनस्पति विज्ञान विभाग शोध से यह पता लगाएगा कि मक्के के बीज में आयरन कैसे बढ़ाया जाए। संबंधित विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। जल्द ही यह शोध कार्य शुरू होगा।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:13 PM (IST)
मक्के के बीज में आयरन बढ़ाने पर शोध करेगा लखनऊ विश्वविद्यालय, जानें- क्या होगा रिसर्च का पैमाना
लखनऊ विश्वविद्यालय का वनस्पति विज्ञान विभाग मक्के के बीच पर शोध करेगा

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय जल्द ही मक्के के बीज में आयरन को बढ़ाने पर शोध करेगा। शासन के रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षक डा. राजेश कुमार तिवारी को शोध प्रोजेक्ट मिला है। जल्द ही यह शोध कार्य शुरू होगा। मनुष्य के शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा न पहुंचने की वजह से एनीमिया की समस्या हो जाती है। मक्के के बीज में आयरन की मात्रा 10 से 30 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम होती है। जो कि पर्याप्त नहीं है। लवि के वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजेश कुमार तिवारी बताते हैं कि शोध का मुख्य फोकस मक्के के बीच में आयरन बढ़ाना है। इसके पौधे उगाकर देखेंगे कि किस तरह का परिवर्तन हो रहा है। 

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पापुलर के पौधे में लकड़ी की ग्रोथ बढ़ाने पर शोध शुरूः वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजेश कुमार तिवारी को काउंसिल ऑफ साइंटिस्ट एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की ओर से हाल ही में एक और शोध प्रोजेक्ट मिला है। 29 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत पॉपुलर के पौधे में लकड़ी की ग्रोथ को बढ़ाने पर शोध करना है, ताकि अधिक लकड़ी मिल सके। शोध के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर की न्यू बाटनी बिल्डिंग में पॉपुलर के 50 पौधे लगा दिए गए हैं। डा. तिवारी ने बताया कि पापुलर के पौधे के जिस भाग में प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां ज्यादा होती हैं, वहां ग्रोथ की संभावनाएं अधिक हैं। तीन साल के इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है।

सेंटर आफ एक्सीलेंस में खर्च राशि का ब्योरा मांगा : शासन के निर्देश पर लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी विभागाध्यक्षों एवं प्रधान अन्वेषकों से वर्ष 2015 से 2022 तक सेंटर आफ एक्सीलेंस के तहत दी गई राशि के खर्च का ब्योरा मांगा है। इसके लिए शनिवार को शाम चार बजे कुलसचिव डा. विनोद कुमार सिंह ने बैठक बुलाई है। इसमें विभागाध्यक्षों एवं प्रधान अन्वेषकों को खर्च की स्थिति, यदि कोई धनराशि व्यय के लिए अवशेष है तो उसका प्रस्ताव और शोध की आउटकम की स्थिति बताना होगी। शासन ने सेंटर आफ एक्सीलेंस के तहत दी गई राशि के व्यय का उपभोग प्रमाण पत्र तथा शोध के आउटकम की स्थिति पूछी है।


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