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यूपी के राजभवन में 35 प्रजातियों की तितलियों का बसेरा, पक्षियों की 56 तो पौधों की 256 प्रजातियां भी मौजूद

राजभवन के अंदर 35 ख्‍प्रजातियों की सुंदर तितलियों और 56 प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा भी है। यही नहीं परिसर में 96 परिवारों के वृक्षों और पौधों की कुल 256 प्रजातियां भी पाई जाती हैं। एक साल के अध्ययन में यह आंकड़े सामने आए हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 04:01 PM (IST)
यूपी के राजभवन में 35 प्रजातियों की तितलियों का बसेरा, पक्षियों की 56 तो पौधों की 256 प्रजातियां भी मौजूद
लखनऊ विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान संस्थान ने राजभवन की जैव विविधता पर किया शोध।

लखनऊ, [अखिल सक्सेना]। वैसे तो राजभवन की हरियाली और सुंदरता प्रदेशभर में प्रसिद्ध है। जिसने भी इसे देखा, सराहना करते नहीं थका। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि राजभवन के अंदर 35 ख्‍प्रजातियों की सुंदर तितलियों और 56 प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा भी है। यही नहीं, परिसर में 96 परिवारों के वृक्षों और पौधों की कुल 256 प्रजातियां भी पाई जाती हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान संस्थान की ओर से राजभवन की जैव विविधता (बायो डायवर्सिटी) पर कराए गए एक साल के अध्ययन में यह आंकड़े सामने आए हैं। जल्द ही इसकी रिपोर्ट तैयार कर राजभवन को भेजी जाएगी।

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लखनऊ विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान संस्थान ने पूरे शहर का बायो डायवर्सिटी इंडेक्स बनाया था, जिसके बाद नवंबर 2020 में राज्यपाल ने राजभवन की जैव विविधता पर भी अध्ययन करने के लिए कहा था। विभाग की कोआर्डिनेटर प्रो. अमिता कनौजिया और उनकी टीम में शामिल परियोजना अधिकारी आदेश कुमार, शोधार्थी रुचिरा निगम व ऐश्वर्या राय ने राजभवन जाकर इस पर अध्ययन किया था।

तीनों मौसम में किया अध्ययन : प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि राजभवन की जैव विविधता के लिए जाड़ा, गर्मी और बरसात तीनों मौसम में अध्ययन किया गया। पता चला कि यहां की जैव विविधता में संरक्षण की दृष्टि से काफी संभावनाएं हैं। यहां अकशेरुकी और कशेरुकियों की एक विशाल जैव विविधता को आश्रय मिलता है।

मकडिय़ों की भी पांच प्रजातियां : रिपोर्ट के मुताबिक 235 प्रजातियों के पौधों के साथ-साथ यहां कामन गल, वंडर, कास्टर, पिकाक पैंसी, लाइम, कामन मारमोन, ब्लू पेंसी, एग्फ्लाई सहित 35 प्रजातियों की तितलियां पाई गईं। आर्थोपोड्स (कीट पतंगे) की 67, एनेलिड्स (केंचुआ आदि) और मोलस्क (घोंघा) की दो और मेंढक व सरीसृप की तीन-तीन प्रजातियां देखने को मिलीं। मकडिय़ों की भी पांच प्रजातियां देखी गईं। अध्ययन के दौरान 12 परिवारों से संबंधित पक्षियों की 56 प्रजातियां भी पाई गईं।


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